प्रदर्शन के तीसरे दिन भी ग्राम वडलीपाड़ा, रन्नी व आसपास के ग्रामीणों को धरना जारी रहा। वहीं प्रशासन की तरफ से ग्रामीणों को कोई संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने, बिना अनुमति धरना नहीं करने के दबाव के कारण लोगों में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि सरकार ने हमारे बरसों से पीढिय़ों द्वारा खेड़ी जा रही जमीन छीनकर हमें बेरोजगार कर हमें दर-दर भटकने को मजबूर कर दिया। ग्रामीणों की मॉंग है कि हमारी पीढ़ीदर पीढ़ी कब्जे में चली आ रही शासकीय भूमि के बदले हमको मुआवजा दिया जाए। नही तो जमीन के बदने जमीन दी जाए। इससे हम अपनी आजीविका चला सकें। ग्रामीणों द्वाराा तीन माह पूर्व से शासन प्रशासन को ज्ञापन देकर मांग की जा रही है, लेकिन कोई निराकरण नहीं होने से ग्रामीण धरना देने को मजबूर है। इस सबंध में अनुविभागीय अधिकारी जेएस बघेल ने बताया धरने की कोई अनुमति नहीं है। हमने इन्हें समझाया है। शासकीय भूमि का मुआवजा या उसके बदले भूमि देने को कोई प्रावधान नहीं है। वहींं आन्दोलन कारियों का कहना है हमारे पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है। हम अपनी जमीन छीन जाने से बेरोजगार हो जाएंगे। हमारे पास आजिविका का संकट खड़ा हो जाएगा। धरने पर ग्रामीणों का साथ देने के लिए रुस्तम सिंह चरपोटा, संजय भाबर व छात्र संघ का भी समर्थन मिल रहा है। मौके पर पहुंचे विधायक वीरसिंह भूरिया ने कहा कि ग्रामीणों की समस्या जायज है । हर सम्भव प्रयास कर इनकी समस्या का हल करने का प्रयास करेंगे।