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झाबुआ

नया शिक्षा सत्र शुरू, कैसे होगी पढ़ाई, शिक्षकों और प्राचार्यों की भारी कमी

जिले में शासकीय स्कूलों में शिक्षक व प्राचार्य का अभाव

झाबुआJun 19, 2022 / 01:20 am

binod singh

नया शिक्षा सत्र शुरू, कैसे होगी पढ़ाई, शिक्षकों और प्राचार्यों की भारी कमी

नया शिक्षा सत्र शुरू, कैसे होगी पढ़ाई, शिक्षकों और प्राचार्यों की भारी कमी

झाबुआ. प्रदेश के दूसरे सबसे कम साक्षर जिले में शासकीय स्कूलों में शिक्षक व प्राचार्य की अभाव में गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं मिल रही है। नया शिक्षा सत्र प्रांरभ हो गया है। बावजूद अभी स्कूलों में शिक्षकों के पद नहीं भरे हैं। यहां तक जिले की छह मॉडल स्कूलों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं। वहीं हायर सेकंडरी सकूलों में प्राचार्य नहीं होने से प्रभारी चला रही है। वर्तमान में जिले की 132 स्कूलों में महज 6 स्कूलों में प्राचार्य हंै। वहीं माध्यमिक व प्राथमिक स्कूलों में 500 से अधिक पद रिक्त हंै। ऐसे में इन रिक्त पदों में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों की नियुक्त नहीं हो पाई है।
बताया जा रहा है कि जिले के 426 माध्मिक स्कूल एवं 1976 प्राथमिक स्कूल है। कक्षा 1 से 8 तक इन स्कूलों में 5 सौ से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। इनमें सबसे अधिक वह स्कूलें है जहां में पद रिक्त है जो कि ग्रामीण क्षेत्र में है। ऐसे में इन पद रिक्त स्कूलों में पिछले कई स्थालों से अतिथि शिक्षक पढ़ते हैं, लेकिन समय पर इनकी नियुक्त नहीं होने से शिक्षकों के अभाव में पढ़ाई नहीं हो पाती है। यही कारण है कि शासकीय स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता मानक स्तर की नहीं है। इस बार कक्षा 5 वी और 8 वी में छात्र अनुर्तीण रहे हंै। इसके साथ प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों की परीक्षा परिणाम में जिले को 37 वां स्थान रहा है। इसके बावजूद स्कूल में शिक्षकों को कमी को लेकर सरकार चिङ्क्षतत नहीं है।
मॉडल स्कूलों में पद खाली
जिले की छह मॉडल स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना नहीं हो पाई है। सभी मॉडल स्कूल में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे है। यहां तक कि इनमें नियमित प्रचार तक नियुक्त नहीं है। इसका असर स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता पड़ पड़ता है। दरअसल शिक्षकों की नियुक्त नहीं होने से यह पद नहीं भरे जा रहे है।
मतदान में लगे शिक्षक
इन दिनों नया शैक्षणिक सत्र प्रांरभ् होने के बाद त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव चल रहे हंै। ऐसे में शिक्षकों को मतदान दल में ड्यूटी लगी होने के कारण इन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके कारण स्कूलों में शिक्षक की कम ही समय दे पा रहे हैं। जबकि कोरोना संक्रमण काल में दो साल लगातार स्कूल बंद होने के कारण छात्रों की शिक्षा पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। इनमें बड़ी संख्या में छात्र के कक्षा में क्रमोन्नति हो गई है लेंकिन उनका बौद्धिक विकास उस स्तर का नहीं है।

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