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झाबुआ

गंदगी हटाकर वेस्ट पानी को पेड़ों में पहुंचाने के लिए बनाई नाली

पं. मोतीलाल नेहरू होस्टल के छात्रों ने किया श्रमदान : हैंडपंप के पास अब नहीं पनपेंगे मच्छर, गांव में घरों के आसपास के जलस्रोतों की साफ-सफाई व संरक्षण की जिम्मेदारी ली

झाबुआMay 27, 2019 / 04:56 pm

अर्जुन रिछारिया

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गंदगी हटाकर वेस्ट पानी को पेड़ों में पहुंचाने के लिए बनाई नाली

झाबुआ. जल की बूंद-बूंद कीमती है। विश्व में 71 प्रतिशत पानी मौजूद है, किन्तु हमारे पीने के लिए महज 1 प्रतिशत पानी ही उपब्ध है। इस बात के महत्व को हर व्यक्ति तक पहुंचाने एवं भविष्य के प्रति अपनी भूमिका समझते हुए पत्रिका समूह द्वारा देश के कई राज्यों में जनसमूह के साथ एक मत होकर अमृतम् जलम् अभियान चलाया जा रहा है। रविवार सुबह 6 बजे पंडित मोतीलाल नेहरू होस्टल के 30 से अधिक विद्यार्थियों ने परिसर में स्थित एकमात्र हैंडपंप को गंदगी से मुक्त किया।
होस्टल में रहने वाले विद्यार्थियों शंकर भूरिया, सूरसिंह तोमर, पारसिंह चौहान, लोकेश सिंगार, सुनील सिंगार, कानू भूरिया, विक्रमसिंह गाड़रिया, अर्जुन चौहान, थारु निनामा, हरिसिंह भूरिया, राकेश कनेश, वालसिंह भाबोर, ठाकुर मखोडिय़ा आदि ने पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान में शामिल होकर हैंडपंप के आसपास साफ -सफाई कर आधी ट्रॉली गंदगी हटाई, जिससे अब यहां जमा पानी में मच्छर नहीं पनपेंगे। फैले हुए पानी की निकासी को दुरुस्त किया।
आसपास फैली गंदगी साफ करके वेस्ट पानी को आसपास लगे पेड़ों में पहुंचाने के लिए नाली बनाई। बगीचे में कुछ जलियां गिरी हुई थी, उन जालियों को छोटे पौधों पर लगाए। विद्यार्थियों ने अपने-अपने गांव में घरों के आसपास भी जलस्त्रोतों साफ-सफाई एवं संरक्षण की जिम्मेदारी ली।
50 प्रतिशत जल स्रोत सिर्फ आंकड़ों में काम कर रहे
इस दौरान विद्यार्थियों के साथ टॉक-शो भी हुआ। जिसमें यह बात उभर कर आई कि शहर एवं आसपास के ग्रामीण अंचलों के हाल बुरे हैं। पीएचई के पास भी अपने बंद पड़े हैंडपंप और अतिक्रमण की भेंट चढ़े तालाबों का कोई अपडेट आंकड़ा नहीं। जनता के अनुसार 50 प्रतिशत जल स्त्रोत सिर्फ आंकड़ों में काम कर रहे हैं। जिलेभर में आधे हैंडपंप मई के अंत तक आते-आते जल स्तर गिरने से बंद हो चुके हैं। शहर की आबादी को लेकर पेलजल योजना अधर में है। ऐसे में अपने आसपास के प्राकृतिक जलस्त्रोतों के प्रति जागरूकता हमारा दायित्व बनता है। शहर में पानी बचाने के लिए बहुत से प्रयास हुए। यही परिणाम है कि अभी तक क्षेत्र सूखाग्रस्त होने से बचता रहा। शहर के कुएं बावडिय़ां तालाब धीरे -धीरे अतिक्रमण का शिकार हो गई।
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