आसपास फैली गंदगी साफ करके वेस्ट पानी को आसपास लगे पेड़ों में पहुंचाने के लिए नाली बनाई। बगीचे में कुछ जलियां गिरी हुई थी, उन जालियों को छोटे पौधों पर लगाए। विद्यार्थियों ने अपने-अपने गांव में घरों के आसपास भी जलस्त्रोतों साफ-सफाई एवं संरक्षण की जिम्मेदारी ली।
इस दौरान विद्यार्थियों के साथ टॉक-शो भी हुआ। जिसमें यह बात उभर कर आई कि शहर एवं आसपास के ग्रामीण अंचलों के हाल बुरे हैं। पीएचई के पास भी अपने बंद पड़े हैंडपंप और अतिक्रमण की भेंट चढ़े तालाबों का कोई अपडेट आंकड़ा नहीं। जनता के अनुसार 50 प्रतिशत जल स्त्रोत सिर्फ आंकड़ों में काम कर रहे हैं। जिलेभर में आधे हैंडपंप मई के अंत तक आते-आते जल स्तर गिरने से बंद हो चुके हैं। शहर की आबादी को लेकर पेलजल योजना अधर में है। ऐसे में अपने आसपास के प्राकृतिक जलस्त्रोतों के प्रति जागरूकता हमारा दायित्व बनता है। शहर में पानी बचाने के लिए बहुत से प्रयास हुए। यही परिणाम है कि अभी तक क्षेत्र सूखाग्रस्त होने से बचता रहा। शहर के कुएं बावडिय़ां तालाब धीरे -धीरे अतिक्रमण का शिकार हो गई।