यात्री बसों व अन्य वाहनों की आवाजाही पर रोक लगने के बाद मजदूरी के लिए गुजरात व राजस्थान गए ग्रामीण पैदल परिवार के साथ अपने गांव पहुंच रहे हैं। यदि इनमें से एक-दो परिवार भी कोरोना संक्रमित निकले तो मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
गुजरात और राजस्थान से आने वाले ऐसे ग्रामीण सड़क से आ रहे हैं। उनकी तो स्क्रीनिंग हो जाएगी, लेकिन जो लोग कच्चे रास्तों और पगडंडियों से होते हुए गांव में पहुंच गए उनके लिए प्रशासन के पास कोई योजना नहीं है। उनका पता नहीं चल पाएगा। ऐसे में प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी। यदि कहीं संक्रमित व्यक्ति आ गया तो पूरे गांव में संक्रमण फैलने का खतरा खड़ा हो जाएगा।
जिस तरह से सीमावर्ती गुजरात व राजस्थान से मजूदर का प्रवेश हमारे जिले में हो रहा है। उससे कोराना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हालातों में प्रदेश की सीमा पर 15 दिन का आइसोलेशन कैंप लगाया जाना चाहिए। क्योंकि कोविड-19 के इनक्यूबेशन पीरियड के हिसाब से उसके लक्षण नजर आने में 7 से 14 दिन लग सकते हैं। इन दिनों जितने भी मजदूर लौट रहे हैं उनकी सर्दी-खांसी और बुखार की जांचकर उन्हें घर रवाना किया जा रहा है। केवल स्क्रीनिंग के आधार पर ही 4 हजार से अधिक मजदूर अपने घर पहुंच चुके हैं। यदि घर पहुंचने के बाद उनमें कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ तो ऐसे में ये मजदूर न केवल अपने परिवार और गांव बल्कि पूरे जिले के लिए नया खतरा बन जाएंगे।