किसानों से कम भाव में उपज खरीद कर मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में व्यापारी अवैध रूप से ट्रक में माल लोड करके गुजरात के दाहोद पहुंचा रहे हैं। व्यापारी द्वारा गुजरात पहुंचाया जा रहे है। माल का किसी भी प्रकार का मंडी को टैक्स दिए बिना बिना अनुज्ञा पत्र जारी किए माल को पहुंचाए जा रहा है।
किसानों को अपनी लागत मूल्य से भी कम उपज का दाम मिलता है। इस कारण किसान को परेशान करना पड़ता है इसलिए उन्हें परिवार के भरण-पोषण के लिए मजबूरी में गुजरात की ओर पलायन करना पड़ता है
वही किसानों का शोषण आज से नहीं कई वर्षों से हो रहा है। किसान अपनी माल को बेचने तो कई व्यापारी तोल काटों में लीटर में सेट कर देते है। इससे एक किलो अनाज 800 ग्राम ही बताता है। प्रतिदिन कितने किलो माल किसानों मारते होगे। अभी कुछ समय पूर्व ही राणापुर उपमंडी में किसानों ने व्यापारियों को तोल काटा मारते पकड़ा था। इसके बाद किसानों मंडी में जमकर हंगामा किया था। अपनी उपज सही तोल करवाकर रुपए लिए थे। किसानों बाज़ार भाव नहीं मिलने से कई किसान जो धन से सम्पन्न है वह तो अपना माल वापस घर ले जा रहे। ज्यादा भाव आने इंतज़ार करते हैं। वही कमजोर किसान जो बोवनी बाज़ार में से रूपये ब्याज पर लेकर खेती करते हैं। वह किसान मज़बूरी में अपना माल बाजार में नुकसान उठा कर बेचना पढ़ रहा है। इससे किसान दिन प्रतिदिन दबता जा रहा है।
सन 1982 मे मंडी मे झाबुआ मंडी की स्थापना हुई। जब ही राणापुर उप मंडी का भीए तब ऐसा अब मंडी मे व्यापार होगा तो किसानों उनकी उपज का सही दाम मिलेगा, लेकिन मंडी चालू होने के नाम पर केवल पतीला लगा रहे 2 महीने में हफ्ते 1 दिन चलाते हैं। बाकी के दिनों में मंडी चालू नहीं होने के कारण व्यापारियों द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा है।
हम दिनभर खेत मेहनत करके धान उगाते है। जब बेचने आते हैं तो व्यापारी द्वारा हमें कम भाव सिया जाता है। हमें मजबूरी में कम भाव में हमारा मेहनत का धान बेचना पड़ता है।
-अलबसिंह, किसान।
मंडी चालू नहीं रहती है। हमें बाज़ार में माल बेचता पड़ता है। बीज के लिए कर्ज लेते हैं, जो चुकाना होता है। मंडी रोजाना चलनी चाहिए।
रमेश भूरिया, किसान
आवक होगी जब चालू करेगे मंडी। रोजाना इसलिए नहीं चलाते हैं, क्योंकि यहां मंडी आवक नहीं रहती। इसलिए मंडी रोजाना चालू नहीं होती है।
– केके दिनकर, मंडी सचिव झाबुआ।