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झाबुआ

मंडी की जमीन पर कब्जा, फसल की नहीं होती नीलामी

तत्कालीन सचिव ने कब्जे का विरोध करते हुए हटाने के आदेश दिए, तो उनका ट्रांसफ र करवा दिया, किसानों और मंडी प्रशासन ने भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को अवगत कराया, लेकिन कब्जा नेताओं ने ही किया था, इसलिए एक भी दल का नेता नहीं बोला

झाबुआOct 08, 2019 / 12:05 am

अर्जुन रिछारिया

मंडी की जमीन पर कब्जा, फसल की नहीं होती नीलामी

मंडी की जमीन पर कब्जा, फसल की नहीं होती नीलामी

झाबुआ. भाजपा- कांग्रेस की सरकारें बनी पर कृषि उपज मंडी में फसल की नीलामी नहीं कराा पाईं। इससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए मंडी की जमीन पर नेताओं और रसूखदारों ने अधिकारियों के साथ मिलकर कब्जा कर लिया। इसकी शिकायत कई बार की गई। भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को भी इससे किसानों और मंडी प्रशासन ने अवगत कराया, लेकिन कब्जा नेताओं ने ही किया था। इसलिए एक भी दल का नेता नहीं बोला।
तत्कालीन मंडी सचिव चिमनसिंह मंडलोई ने मंडी की भूमि पर कब्जे का विरोध किया। कब्जा हटाने के आदेश दिए, तो उनका ट्रान्सफर करा दिया। वहीं जनवरी से मार्च के महीने में अनाज की आवक अच्छी होने से थांदला, पेटलावद, कल्याणपुरा कालीदेवी , रामा , राणापुर , मेघनगर आदि ब्लॉक से व्यापारी झाबुआ मंडी में व्यापार करने पहुंचते हैं। मंडी के आधे परिसर में नगरपालिका द्वारा हाट लगाए जाने से व्यापारी और किसान दोनों को असुविधा होती है। मंडी प्रशासन द्वारा नगरपालिका को हाट बाजार स्थानांतरण के लिए कई बार कहा जा चुका है, लेकिन नगरपालिका के पास दूसरा कोई और स्थान नहीं होने से मंडी में ही हाट बाजार भी लग रहा है। भीड़ बहुत ज्यादा रहती है एवं भारी वाहन मंडी में बड़ी मुश्किल से प्रवेश करते हैं। कृषि उपज मंडी की हालत बदतर है यहां पहुंचने वाले किसानों को जनवरी के बाद से ही बिना बोली लगाए फसल विक्रय करना पड़ रही है। जिला मुख्यालय पर मंडी प्रशासन किसानों और व्यापारियों की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है। इससे दोनों वर्गों को असुविधा हो रही है। मंडी में 25 व्यापारी दुकान लगाते हैं। इसमें 10 दुकानें मंडी प्रशासन द्वारा स्थायी रूप से बनाकर व्यापारियों को दी गई। इसके अलावा 7 अस्थाई शेड है। दूसरे छोटे व्यापारी मंडी परिसर पर ही पल्ली लगाकर अनाज की खरीदी कर रहे हैं।
अनाजमंडी में कटलरी कपड़े, फूड की दुकानें
हाट बाजार मंडी परिसर में लगने से अनाजमंडी में कटलरी कपड़े, फूड की दुकान लग रही है। केंद्र और राज्य सरकार के फेर में व्यापारी किसकी सुने।
केंद्र सरकार 10 किलो अनाज भी आरटीजीएस से खरीदने का कहती है और राज्य सरकार 2 लाख तक किसानों को नकद भुगतान करने की छूट देती है। मंडी में अनाज बेचने आए किसानों को 10 किलो अनाज बेचने के लिए भी आरटीजीएस अनिवार्य कर दिया है। एपीएमसी के नियम हटाने के वित्तमंत्री के आदेश के महीनों बाद भी कार्रवाई नहीं हुई।
पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं
यहां पहुंचने वाले किसानों एवं व्यापारियों के लिए पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। महिला किसानों के लिए शौचालय की भी कोई व्यवस्था अब तक नहीं की गई है। जबकि थांदला पेटलावद में जिला मुख्यालय से ज्यादा सुविधाजनक मंडी तैयार है। राणापुर उप मंडी भी सुविधा की लिहाज से ज्यादा से बेहतर है। कल्याणपुरा एवं काली देवी में किसानों के लिए कोई उपमंडी की व्यवस्था नहीं की गई है।
30 प्रतिशत किसानों का भी पंजीयन नहीं
उत्कृष्ट मंडी बनने वाली झाबुआ की मंडी उपेक्षा की वजह से किसानों और व्यापारियों का सिरदर्द बन गई है। नल्दी बड़ी की राजी भाबर 18 किलो गेहूं लेकर मंडी में बेचने पहुंची। जिसे व्यापारियों ने नगद भुगतान किया। क्षेत्र में 30 प्रतिशत किसानों का भी पंजीयन नहीं है। किसान योजनओं में फसल नहीं बेचना चाहता फसल के बदले नकद लेना चाहता है। रमेश बाबर ढेबर से साडे तीन क्विंटल सोयाबीन लेकर पहुंचा। जिसे 1 क्विंटल के 3500 रुपए में बिना बोली लगाए पूरा माल बेचना पड़ा। वजिया वसुनिया निवासी नवापाड़ा, बोडा पणदा निवासी सातबील्ली अनकू भाबर निवासी ढेबर ने बताया कि फसल पानी ने बर्बाद कर दिया। मु_ी भर फसल लेकर बेचने से लागत भी वसूल नहीं हो सकेगी। मंडी में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं। किसान चेक एवं आरटीजीएस से पैसा लेना नहीं चाहते। कमतु बाई मेड़ा निवासी पानकी 1 क्विंटल मक्का लेकर पहुंची। जिसे 1920 रुपए नकद मिले। कमतु ने बताया की मंडी में शेड नहीं होने से बरसात और गर्मी दोनों मौसम में किसान परेशान
होता है।
नीलामी प्रक्रिया
की जाएगी
&नीलामी प्रक्रिया में व्यापारियों को प्लाट दिए जाएंगे। आचार संहिता के बाद विज्ञप्ति निकालकर नीलामी प्रक्रिया की जाएगी , जिससे व्यापारियों को व्यवस्थित दुकाने मिल जाएगी। जमीन पर कब्जे पर कुछ कह नहीं सकता।
-केके दिनकर, मंडी सचिव
हाट बाजार के लिए जगह चिह्नि कर रहे
&हाट बाजार के लिए जगह चिह्नित कर रहे हैं। जल्द ही कृषि मंडी को साप्ताहिक बाजार लगने से राहत मिलेगी।
-एलएस डोडिया,
सीएमओ

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