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झाबुआ

जिस समस्या से निजात पाने खाली किया था तालाब, वह जलकुंभी आज भी बरकरार

शहर के बहादुर सागर तालाब को दुर्दशा से बचाने में प्रशासन नाकाम

झाबुआOct 07, 2022 / 01:21 am

binod singh

जिस समस्या से निजात पाने खाली किया था तालाब, वह जलकुंभी आज भी बरकरार

जिस समस्या से निजात पाने खाली किया था तालाब, वह जलकुंभी आज भी बरकरार

झाबुआ. शहर के सौंदर्य के प्रतीक और भू -जल स्तर बढ़ाने में सहायक बहादुर सागर तालाब में खड़ी जलकुंभी की प्रशासन को मुंह चिढ़ाते हुए अधिकारियों की नाकामी को बयां कर रही है। इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए गर्मी के दिनों में प्रशासन ने पूरा तालाब ही खाली करवा दिया था। यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो कुछ ही दिनों में पूरा तालाब जलकुंभी की चपेट में होगा।
प्रशासन की अनदेखी
दरअसल प्रशासनिक अनदेखी ने शहर की एक ऐतिहासिक धरोहर बहादुर सागर तालाब को दुर्दशा की और धकेल दिया था। तालाब में गाद जमा होने के साथ ही जलकुंभी की भी समस्या खड़ी हो गई थी। ऐसे में तत्कालीन कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने मई महीने में समस्या के स्थाई समाधान के लिए तालाब को खाली कर उसका गहरीकरण करने के निर्देश दे दिए थे। इसके पीछे मकसद केवल यही था कि जलकुंभी की समस्या जड़ से खत्म हो जाए और तालाब की जल ग्रहण क्षमता में भी इजाफा हो सके। गहरीकरण का कार्य तो हुआ, लेकिन जलकुंभी को समाप्त नहीं किया जा सका। बारिश के बाद तालाब भरा तो आधे हिस्से में जलकुंभी ही जलकुंभी न•ार आने लगी।
1766 में झाबुआ राजा ने कराया था निर्माण
बहादुर सागर तालाब का निर्माण झाबुआ महाराज बहादुरङ्क्षसह ने वर्ष 1766 में कराया था। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार तालाब 10.878 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी क्षमता 2.05 लाख क्यूबिक मीटर और गहराई 5.50 मीटर है। लगातार गाद जमा होने से तालाब की जल ग्रहण क्षमता काफी कम हो चुकी है। इसके अलावा किनारों पर अवैध कब्जे से इसका कैचमेंट एरिया भी काफी कम हो गया है।
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