पूछताछ में रामेश्वर ने बताया यह जेवरात रतलाम के ही 10 सराफा कारोबारियों के हैं। उसने 14 लाख 30 हजार रुपए के चार बिल भी प्रस्तुत किए। इसमें से18 किलोग्राम चांदी के गहने कैलाशचंद्र नीतेश कुमार, 13 किलोग्राम चांदी के गहने संजयभाई बसोर और 18 -18 किलोग्राम चांदी के गहने बीएस वर्धमान ज्वैलर्स और श्रुति ज्वैलर्स के थे। ये चारों सराफा व्यापारी अपने बिल लेकर पिटोल चौकी पहुंचे थे।
बस को कार्रवाई के बिना छोड़ा-
पुलिस ने जिस यात्री बस से भारी मात्रा में चांदी के जेवरात बरामद किए उसे कार्रवाई के बिना ही छोड़ दिया। ऐसे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है यदि गहनों की जगह कोई अन्य संदिग्ध सामग्री होती तब भी क्या पुलिस वाहन को छोड़ देती। बताया जाता है कि इन यात्री बसों के जरिए ही एक राज्य से दूसरे राज्य में अवैध सामग्री को भेजा जाता है।
-2014 के लोकसभा चुनाव में भी जब्त किए थे 58 किलो चांदी के गहने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी फ्लाइंग स्क्वॉड ने मप्र-गुजरात की सीमा पर स्थित पिटोल चेकपोस्ट पर नियमित चेकिंग के दौरान 7 अप्रैल 14 को एक कार (जीजे 03 ईसी 6 529) से 58 किलोग्राम चांदी के जेवरात जब्त किए थे। उस वक्त इनका बाजार मूल्य 12 लाख 62 हजार 824 रुपए था। मामले में साराफा व्यापारी विमल पिता ताराचंद शाह (45) और उसके भाई भरत को पुलिस ने हिरासत में लिया था। खास बात यह है कि उस वक्त भी गहने राजकोट से भोपाल ले जाए जा रहे थे। यानि कहीं न कहीं इन चांदी के गहनों का चुनाव से ताल्लुक जरूर है।
-कहीं, मतदाताओं को लुभाने के लिए तो नहीं ले जा रहे थे गहने
रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट पर अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है। इसी के मद्देनजर पुलिस द्वारा गुजरात और राजस्थान से जुड़ी सीमा पर सघनता से जांच अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान भारी मात्रा में चांदी के आभूषण जब्त होने पर यह आशंका भी जताई जा रही है कि कहीं इनका उपयोग मतदाताओं को लुभाने के लिए तो नहीं किया जाने वाला था। क्योंकि आदिवासी अंचल में शराब और पैसे के जरिए मतदाताओं को लुभाया जाता रहा है।