एडीएम एसपीएस चौहान ने आठ शर्तों के साथ आवंटन के आदेश दिए। खास बात यह है कि जमीन जिस प्रयोजन के लिए आवंटित की गई है यदि 6 महीने में उसके लिए उपयोग नहीं होता है तो आदेश स्वत: निरस्त माना जाएगा। यानी पश्चिम रेलवे को इस अवधि में कार्य पूरा करना होगा। दरअसल पश्चिम रेलवे के उप मुख्य इंजीनियर (निर्माण) रतलाम के द्वारा नईबड़ी रेल लाइन दाहोद-इंदौर बरास्ता (झाबुआ-धार-पीथमपुर) परियोजना अंतर्गत पिटोल-झाबुआ सेक्शन की नई लाइन अलाइमेंट के अंतर्गत आने वाली 12 गांवों की 55.96 0 हेक्टेयर सरकारी जमीन रेलवे के पक्ष में हस्तांतरित करने की मांग की थी। इसके लिए प्रशासन ने एसडीएम से रिपोर्ट मांगी। एसडीएम ने तहसीलदार के माध्यम से सर्वे करवाकर रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें बताया गया कि यदि रेलवे को जमीन आवंटित की जाती है तो किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। इस रिपोर्ट से संतुष्ट होते हुए विज्ञप्ति का प्रकाशन करवाया गया। जब निर्धारित अवधि में कोई आपत्ति प्राप्त नहीं हुई तो तहसीलदार के साथ एसडीएम ने भी पश्चिम रेलवे को जमीन आवंटित किए जाने का प्रस्ताव दे दिया। संपूर्ण जांच के उपरांत उक्त प्रस्ताव आयुक्त इंदौर के माध्यम से सचिव मप्र शासन राजस्व विभाग भोपाल को भेजा गया। वहां से बिना प्रीमियम व 1 रुपए वार्षिक भू भाटक पर जमीन आवंटित करने की अनुमति मिल गई।
इन शर्तों पर हस्तांतरित हुई जमीन – अंतरित भूमि का उपयोग विभाग द्वारा अन्य किसी प्रयोजन के लिए नहीं किया जा सकेगा। – भविष्य में यदि जमीन की आवश्यकता नहीं पड़ती है तो इसे राजस्व विभाग को पुन:सौंपा जाएगा।
– किसी व्यक्ति विशेष या अन्य संस्थान को उक्त भूमि विभाग द्वारा अंतरित नहीं की जाएगी। – अंतरण दिनांक से 3 महीने में जमीन पर अपना कब्जा लेने के साथ रेल्वे नियमावली के अंतर्गत बाउंड्रीवॉल का निर्माण करने के साथ जमीन को अतिक्रमण से बचाने की जिम्मेदारी भी विभाग की रहेगी।
– भूमि अंतरण आदेश के 6 महीने के भीतर जिस प्रयोजन के लिए जमीन आवंटित की गई है। उस प्रयोजन में उपयोग करना अनिवार्य होगा। यदि समयावधि में आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो यह आदेश स्वमेव निरस्त माना जाएगा।
– किसी भी प्रकार के विकास या निर्माण के पूर्व खसरा-मानचित्र पर आवंटित होने वाली भूमि अंकित कर उसकी जानकारी सहायक संचालक नगर तथा ग्राम निवेश विभाग को अनिवार्य रूप से देना होगी। – हस्तांतरित की जाने वाले जमीन के अंतर्गत आने वाले रास्ते, नदी-नाले के नैसर्गिक प्रवाह को अवरोध किए बिना तथा प्रश्नाधीन भूमि पर स्थित वृक्षों को काटने के पूर्व अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
– सार्वजनिक मार्ग, सडक़, पेयजल, जंगल व अन्य सुविधाएं प्रभावित होने पर संबंधित विभाग से निर्माण के पूर्व कार्रवाई करनी होगी। – पश्चिम रेलवे ने 12 गांवों की करीब 55 हेक्टेयर सरकारी जमीन आवंटन की मांग की थी। कार्रवाई पूरी कर ली गई है। उक्त जमीन का नोईयत परिवर्तन किया जाकर मद पश्चिम रेल्वे भारत सरकार घोषित कर दिया है। सीमांकन करने के बाद जमीन का कब्जा पश्चिम रेल्वे के उप मुख्य इंजीनियर (निर्माण)को सौंप दिया जाएगा।
प्रबल सिपाहा, कलेक्टर, झाबुआ