शोभायात्रा में 2 तोप, 10 घोड़े, समाजिक गैर, डीजे गौतम, 20 झंडे, रायपुरिया बैंड, 20 तड़तली ढोल, नाचने वाली घोडिय़ा, बिलाड़ा गैर, दीवानजी की बग्घी समेत सभी प्रमुख संतों की बग्घी, नासिक के ढोल, कागज की तोप, 5 देसी ढोल, नरङ्क्षसघा बैंड, अटबड़ा गैर, डीजे राज, नकली घोड़ी, ऊंट, प्रकाश बैंड, महिला मंडल नृत्य, अखाड़ा और सबसे आखिर में आई माताजी की प्रतिमा की झांकी सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बनी। जुलूस में शामिल भक्तों का पारंपरिक अंदाज, जहां श्रद्धालुओं की मस्ती भरा अंदाज बयां करता रहा। वहीं भक्तिगीतों पर थिरकते युवा और झांकियां पर भवनों की छतों से बरसते फूल सभी को भक्ति में डुबोए रहे।
आई माताजी के मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान निकली भव्य शोभायात्रा में आई पंथ धर्मगुरु दीवान गोपाल परमार बिठोड़ा (पिरान) भी बग्घी में बैठे थे। उनके साथ अंबिका आश्रम, बालीपुर धाम से संत योगेश महाराज, श्रृंगेश्वर धाम झकनावाड़ा के महंत रामेश्वरगिरी, आईपंथ सतगुरु भंवर महाराज और दुल्लाखेड़ी धाम, पेटलावद के महंत त्यागी बाबा फलाहारी देवदास महाराज और पं. नरेन्द्र नंदन दवे और उनके पुत्र समेत पूरी टीम अलग अलग बग्घी में बैठे थे।