हटीला फलिए में रहने वाली कलावती प्रेमसिंह, मरिया मार्टिन, कविता विजय, रवीना जेवियर , निर्मला संजय ने बताया कि यहां एक मात्र हैंडपम्प में जलस्तर घट जाने से एक घंटे में एक बाल्टी पानी निकलता है और 20 मिनट हैंडपम्प चलना पड़ता है। 2 बाल्टी पानी में ही सांस फूलने लगती है। सिंगाडिय़ा फलिया की आशा पास्केल, सुचिता अनूप, संगीता अशोक, सीमा जॉन ने बताया कि रात को 2 बजे से सुबह 6 बजे तक हैंडपम्प में पानी की आवक ज्यादा रहती है। इस कारण महिलाएं आधीरात को पानी भरने को मजबूर है। लंबी लाइन लगती है।
मेड़ा फलिए की शांति दिनेश, हरकू झितरा, अस्टेला अजनार, सोनम रफेल, प्रभा रिंकू, लक्ष्मी अजनार ने बताया कि गांव का विकास होगा तो ही देश का विकास होगा। हैंडपम्प का पानी सूखने पर 3 फलियों में रहने वाले लगभग 89 परिवार के 750 सदस्यों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। तीन फलियों में रहने वाले इन साढे 7 सौ लोगों के बीच एक हैंडपम्प रह गया है। दूसरे सभी हैंडपम्प गर्मी शुरू होने से पहले मार्च महीने में ही अक्सर सूख जाते हैं। इनके बीच जिनके पास वाहन है को पेट्रोल जलाकर पानी की व्यवस्था दूर-दूर से कर रहे है। कमजोर आर्थिक स्थिति वाले 2 किमी दूर स्तिथ निजी बोरिंग से पानी ले रहे हैं। 3 दिन में एक दिन नंबर आता है। हैंडपम्प में लीकेज पाइप के कारण पानी कम निकलने पर अधिकरियों को कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पाइप भी एक बार भी नहीं बदले गए। यहां से 100 मीटर दूर जाने वाली पाइप लाइन से वर्षों से रहने वाले लोगों को भी वंचित रखा। यहां नई पाइप लाइन डालने पर भी सर्वे नहीं किया। जबकि आबादी के हिसाब से एक एक फलिए में 250 से 300 लोग रहते हैं। नगर पालिका द्वारा लगातार उपेक्षा की जा रही है।
टैंकरों से पानी पहुंचाने की योजना
&चुनाव के बाद पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों में टेंकरों की मदद से पानी पहुंचाने की योजना तैयार है। छूटे हुए स्थानों पर पाइप लाइन बिछाने का काम जल्द शुरू होगा। शहर के बंद हैंडपम्प भी चिह्नित कर दुरुस्त किए जाएंगे।
-एलएस डोडिया, मुख्य नगरपालिका अधिकारी।