जहरीले पानी से हजारों मछलियां मर चुकी हैं। केमिकलयुक्त पानी मेघनगर से होता हुआ नाले में पहुंचा और इस नाले का पानी नदी में जा मिला। इसकी वजह से यह केमिकल युक्त पानी ने नदी के पानी को प्रदूषित कर दिया है। इसकी वजह से ग्रामीणों के सामने एक बड़ी समस्या पैदा हो गई है। कहीं इस प्रदूषित पानी की वजह से उनके मवेशी इसका शिकार न हो जाए, किन्तु जिम्मेदार अधिकारी मात्र पंचनामा बनाकर अपने कर्तव्य को पूरा कर रहे हैं। इसके विरोध में ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।
पीपलखुंटा सरपंच मेहताब सिंह डामोर ने बताया कि केमिकल उद्योग के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर ली गई है। मेघनगर औद्योगिक इलाके से प्रदूषित फैक्टरियों का पानी नाले में बहकर इस ओर आ रहा है। जो आकर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के पास स्थित नदी में मिल रहा है। इस नदी के पानी को कई गावों के लोग इस्तेमाल करते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ पर भी इसी पानी का इस्तेमाल होता है। पूर्व में कई मवेशी भी इस पानी की वजह से मर चुके हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। यदि प्रदूषित केमिकल युक्त पानी को नहीं रोका गया तो जनआंदोलन किया जाएगा। पीपलखुंटा वन समिति अध्यक्ष मकन सिंह डामोर ने कहा कि मेघनगर से केमिकल फेक्टरियों का पानी राखडिय़ा नाले में होता हुआ पीपलखुंटा तक आ कर नदी में मिल रहा है। पूर्व में राष्ट्रीय पक्षी मोरों की भी मौत हो चुकी है। कई मवेशी इस केमिकल युक्त पानी की वजह से मौत का शिकार हो गए हैं। ग्राणीण राजू डामोर ने बताया कि केमिकल युक्त पानी की वजह से हजारों मछलिया मार चुकी हैं, लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जहरीले पानी की वजह से जलन के साथ चर्म रोग हो रहे हैं। यह पानी फिल्टर कर मेघनगर में भी सप्लाय किया जा रहा है।