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झाबुआ

पेटलावद ब्लॉस्ट के तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी जख्म आज भी हरे

शासन प्रशासन ने कुछ न कुछ देने का वादा किया था, किंतु वह वादा आज तक पूरा नहीं हो पाया

झाबुआSep 11, 2018 / 10:49 pm

अर्जुन रिछारिया

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पेटलावद ब्लॉस्ट के तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी जख्म आज भी हरे

पेटलावद. पेटलावद ब्लॉस्ट के तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी कुछ जख्म ऐसे हैं जो आज भी हरे हैं। जिन्हें भूल पाना नामुमकिन है। ब्लॉट में कई परिवारों के चिराग उजाड़े थे। शासन-प्रशासन ने पीडि़तों को कुछ न कुछ देने का वादा किया था, किंतु वह वादा आज तक पूरा नहीं हो पाया है।
ब्लॉस्ट की तीसरी बरसी पर पीडि़त लोग न्याय की उम्मीद में दर दर भटक रहे है। मुख्यमंत्री तक ब्लॉस्ट को भूल गए। 7 सितंबर को मुख्यमंत्री ने शासकीय मंच से कांग्रेस को खूब कोसा, किंतु एक शब्द भी वह ब्लॉस्ट पीडि़तों को लिए नहीं बोले। आखिर तीन वर्ष में ही प्रदेश की सबसे बड़ी दुर्घटना को मुख्यमंत्री भूल गए। इधर जिन माताओं ने अपने चिराग खोए, जिनका सुहाग उजड़ा और जिनके सिर से पिता का साया उठ गया। उनसे पूछा जाए की यह तीन वर्ष यानी 1000 दिन किस प्रकार उन्होंने बिताए। किस तकलीफ और किस परेशानी का सामना कर प्रशासन शासन के आगे आशा की किरण जाएंगे बैठे रहे, किंतु उन्हें कोई सहायता तक नहीं मिल पाई
मुख्यमंत्री की स्मारक बनाने की घोषणा अधर में पड़ी है। नगर परिषद ने अपनी बैठक के प्रस्ताव में लिया था. किंतु आज तक उस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ। इसके साथ ही ब्लॉस्ट पीडि़त कई लोगों को आज भी नौकरी का इंतजार हैं, किंतु उनका इंतजार आज तक खत्म नहीं हो पा रहा है। रोहित गुऐता के भाई मनीष गुप्ता को भी नौकरी देने का वादा किया था. किंतु वह वादा आज तक पुरा नहीं हो पाया। मनीष गुप्ता का कहना है कि शिवराज सरकार ने भेदभाव किया है। मंदसौर में मृतकों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपए और पेटलावद में मृतकों के परिजनों को मात्र 5-5 लाख रुपए ही दिए।
आंख से अभी भी धुंधला दिखाई देता है
कई घायल न चाहते हुए भी ब्लॉस्ट के जख्म के रूप में दिखाई देते हैं। झौंसर का युवक सोहन खराड़ी जो की अपने भाई को रामदेवरा से लौटने पर लेने आया था। किंतु ब्लॉस्ट के धमाके में उसके आंखों की रोशनी चली गई थी। सोहन ने प्रशासन से प्राप्त मदद और अपने स्वयं के खर्च पर भी बहुत इलाज करवाया, किंतु आज भी सोहन धुंधला ही देख पाता है। इसी प्रकार मान सिंह भाबर के पेट में घाव हुए थे. और उसके पेट में से लगभग 1 किलों मटेरियल निकला था। इसके घाव आज भी उसके शरीर पर हैं।
रामदेवरा से पैदल आ रहा था
ग्राम झौसर के 15 वर्षीय युवक मानसिंग भाबर राम देवरा से पैदल आ रहा था। वह सेठिया रेस्टोरेंट पर चाय पीने के लिए रुका था। वहीं ब्लॉस्ट के दरम्यान उसकी मृत्यु हो गई। इस दरम्यान शासन प्रशासन ने मानसिंह का मां से वादा किया था कि तुम्हारे दूसरे पुत्र को नौकरी देंगे, किंतु आज तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। मानसिह का भाई नौकरी का आवेदन लेकर आफि सों के चक्कर काट चुका है।

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