मुख्यमंत्री की स्मारक बनाने की घोषणा अधर में पड़ी है। नगर परिषद ने अपनी बैठक के प्रस्ताव में लिया था. किंतु आज तक उस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ। इसके साथ ही ब्लॉस्ट पीडि़त कई लोगों को आज भी नौकरी का इंतजार हैं, किंतु उनका इंतजार आज तक खत्म नहीं हो पा रहा है। रोहित गुऐता के भाई मनीष गुप्ता को भी नौकरी देने का वादा किया था. किंतु वह वादा आज तक पुरा नहीं हो पाया। मनीष गुप्ता का कहना है कि शिवराज सरकार ने भेदभाव किया है। मंदसौर में मृतकों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपए और पेटलावद में मृतकों के परिजनों को मात्र 5-5 लाख रुपए ही दिए।
कई घायल न चाहते हुए भी ब्लॉस्ट के जख्म के रूप में दिखाई देते हैं। झौंसर का युवक सोहन खराड़ी जो की अपने भाई को रामदेवरा से लौटने पर लेने आया था। किंतु ब्लॉस्ट के धमाके में उसके आंखों की रोशनी चली गई थी। सोहन ने प्रशासन से प्राप्त मदद और अपने स्वयं के खर्च पर भी बहुत इलाज करवाया, किंतु आज भी सोहन धुंधला ही देख पाता है। इसी प्रकार मान सिंह भाबर के पेट में घाव हुए थे. और उसके पेट में से लगभग 1 किलों मटेरियल निकला था। इसके घाव आज भी उसके शरीर पर हैं।
ग्राम झौसर के 15 वर्षीय युवक मानसिंग भाबर राम देवरा से पैदल आ रहा था। वह सेठिया रेस्टोरेंट पर चाय पीने के लिए रुका था। वहीं ब्लॉस्ट के दरम्यान उसकी मृत्यु हो गई। इस दरम्यान शासन प्रशासन ने मानसिंह का मां से वादा किया था कि तुम्हारे दूसरे पुत्र को नौकरी देंगे, किंतु आज तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। मानसिह का भाई नौकरी का आवेदन लेकर आफि सों के चक्कर काट चुका है।