script‘यह परिवर्तन व युग विभीषिका का समय, देवत्व भाव जागृत करेंÓ | 'Time for this change and the era catastrophe, awaken the divinity.' | Patrika News
झाबुआ

‘यह परिवर्तन व युग विभीषिका का समय, देवत्व भाव जागृत करेंÓ

अखिल विश्व गायत्री परिवार के विशेष प्रतिनिधी डॉ. चिन्मय पड्या ने विचार क्रांति अभियान के तहत आयोजित सामारोह में तुकाराम की कहानी के माध्यम से देवत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि देवताओं के लिए स्वर्ग जाने की आवश्यकता नहीं

झाबुआDec 04, 2019 / 09:56 pm

kashiram jatav

'यह परिवर्तन व युग विभीषिका का समय, देवत्व भाव जागृत करेंÓ

‘यह परिवर्तन व युग विभीषिका का समय, देवत्व भाव जागृत करेंÓ

पेटलावद. व्यक्ति जीवन के सामान्य उद्ेश्य को भूल कर बैठा है। मनुष्य जीवन का सौभाग्य अपने अंदर से ही जाना जाता है। इसके ज्ञान के लिए और कोई बाहरी माध्यम नहीं है। भगवान से मिलने के लिए भगवान ने एक रास्ता नियत किया है। जो किसी और के माध्यम से चुना है। उपनिषद कहते हैं कि वह रास्ता गायत्री है। गायत्री को भर्ग कहा जाता है।
इसका अर्थ है आध्यात्मिक तेज, जो स्वयं परमेश्वर के स्वरूप की रक्षा करती हो वह गायत्री कहलाती है। यह बात अखिल विश्व गायत्री परिवार के विशेष प्रतिनिधी डॉ. चिन्मय पड्या ने विचार क्रांति अभियान के तहत आयोजित सामारोह में कही। उन्होंने तुकाराम की कहानी के माध्यम से देवत्व की व्याख्या करते हुए कहा कि देवताओं के लिए स्वर्ग जाने की आवश्यकता नहीं। देवत्व भाव हमारे अंदर हैं। यह परिवर्तन व युग विभिषिका का समय है। देवत्व भाव अपने अंदर से ही जागृत करें। पेटलावद पीठ की गतिविधियां सराहना करते हुए इसे अन्य शक्तिपीठो के लिए अनुकरणीय बताया। प्रारंभ में मंगल तिलक ज्योति भटेवरा ने किया। स्वागत मोतीलाल गामड़ ने किया। अंग वस्त्र जीवन भट्ट ने भेंट किया। अंत में मुख्य ट्रस्टी कृष्णसिंह राठौर व सभी ट्रस्टियों ने शाल व श्रीफल भेंट कर डॉ. पड्या का बहुमान किया। संचालन हेमंत शुक्ला ने किया। आभार निलेश पालीवाल ने माना।
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