लाइफस्टाइल पर जमकर खर्च कर रहे आदिवासी, 30 करोड़ का रहेगा भगोरिया पर्व
झाबुआ. लोक संस्कृति के पर्व भगोरिया की शुरुआत गुरुवार से हो गई है। अगले सात दिनों तक आदिवासी अंचल उत्सव की खुमारी में डूबा रहेगा। झाबुआ जिले में 36 तो आलीराजपुर जिले में 24 स्थानों पर मेले लगेंगे। इस बार करीब 30 करोड़ का कारोबार होने की उम्मीद है। शहर के बाजार में खरीदारी के लिए उमड़ी ग्रामीणों की भीड़ ने भी इस बात को पुख्ता किया है। कपड़े, चांदी के गहने और शृंगार सामग्री की जमकर खरीदी हुई। जिस हिसाब से उन्होंने खरीदी में उत्साह दिखाया उससे लगता है कि भगोरिया उत्सव के दौरान कारोबार में जबर्दस्त बूम आएगा, जिससे अंचल की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। रोजगार के लिए पलायन पर गए ग्रामीण कमाई कर लौटे हैं। ऐसे में वे त्योहार के लिए खरीदारी करेंगे, जिससे कारोबार में उछाल आएगा। खासकर सराफा व कपड़ा कारोबारी की तो दिवाली मन जाएगी।
यूं समझें गणित दोनों जिलों में कुल 60 स्थानों पर मेले लगेंगे। यहां जुटने वाली भीड़ का आंकलन किया जाए तो औसतन हर मेले में 10 हजार लोग शामिल होते हैं। प्रति व्यक्ति न्यूनतम 500 रुपए खर्च करता है। इस लिहाज से 10 हजार लोग एक दिन में ही 50 लाख रुपए खर्च कर देते हैं। यदि 60 मेलों से इसकी तुलना की जाए तो कुल रकम हो जाती है 30 करोड़ रुपए।
कहां से आता है पैसा झाबुआ-आलीराजपुर जिले से हर साल करीब दो लाख से ज्यादा ग्रामीण रोजगार के लिए सीमावर्ती गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र जाते हैं। वहां प्रति व्यक्ति मजदूरी की दर काम के आधार पर 300 से 500 रुपए प्रतिदिन है। यदि पांच सदस्यीय एक परिवार के हिसाब से देखें तो प्रति व्यक्ति 300 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी के मान से आंकड़ा होता है 1500 रुपए। त्योहार पर जब वे आते हैं तो जमकर खरीदारी करते हैं।
आथर््िाक समृद्धि सामाजिक बदलाव भी लेकर आती है। व्यक्ति के रहन-सहन का स्तर ऊंचा हो जाता है। आप इसे यूं समझ सकते हैं कि व्यक्ति की पहली जरूरत होती है अच्छा खान-पान, रहने को घर और कपड़े। जब ये चीजे उपलब्ध हो जाती है तो फिर वह अपनी लाइफ स्टाइल पर पैसा खर्च करता है। -डॉ. गीता दुबे, प्राध्यापक अर्थशास्त्री एवं पीजी कॉलेज की वरिष्ठ
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