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जहरीले कीड़े के काटने से किसान की मौत, पीएचसी में नहीं मिले डॉक्टर, तो भड़के ग्रामीणों ने किया हंगामा

locationझालावाड़Published: Jan 08, 2018 08:45:55 pm

मृतक के परिजन मोटरसाइकिल से भालता पीएचसी लेकर आए लेकिन यहां न तो डॉक्टर मिला और ना ही कोई एम्बुलेंस थी।

farmer death
भालता (झालावाड़)। सांसद के आदर्श ग्राम भालता की पीएचसी को पीपीपी मोड़ पर देने के बाद से स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ा गई है। जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं है। सोमवार को क्षेत्र के बिंदाखेड़ा गांव में फसल को पानी पिलाते समय जहरीले कीड़े के काटने से किसान गोपाललाल दर्जी (50) की तबियत बिगड़ने गई। परिजन मोटरसाइकिल से भालता पीएचसी लेकर आए लेकिन यहां न तो डॉक्टर मिला और ना ही कोई एंबुलेंस थी।
मृतक के परिजन किसान का शव लेकर एक घंटे तक चिकित्सक कक्ष के बाहर बैठे रहे। हालांकि किसान की मौत पीएससी पहुंचने से पहले ही हो गई थी। जिसकी किसी भी चिकित्सा कर्मी ने सुध नहीं ली। इसके बाद मृतक के परिजनों और भालता बिंदाखेड़ा गांव के ग्रामीणों ने पीएचसी में जमकर हंगामा भी किया।
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जीएनएम ने मृतक के लगाया इंजेक्शन-

पीएचसी में एक घंटे बाद मृतक गोपाललाल के जीएनएम ने इंजेक्शन भी लगाया पर मृत घोषित नहीं किया। जिससे परिजन असमंजस में पड़ गए। मृतक के भतीजे श्यामलाल ने बताया कि 108 पर भी फोन लगाया तो व्यस्त बताया। इसके बाद निजी वैन से शव को अकलेरा सीएचसी लेकर गए। जहां पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा।
पीएचसी की सेवाओं से संतुष्ट नहीं ग्रामीण-

राज्य सरकार द्वारा भालता पीएचसी को पीपीपी मोड़ पर देने के बाद से स्वास्थ्य सेवाएं काफी चरमरा गई है। भालता सहित आसपास के 50 गांवों के लोग को मामूली बीमारी में भी झालावाड़, अकलेरा लेकर जा रहे हैं। वहीं बिंदाखेड़ा के पूर्व सरपंच कन्हीराम गुर्जर और ग्रामीण शिवसिंह ने बताया कि यहां डॉक्टर लंबे समय से छुट्टी पर रहते हैं। कर्मचारी भी अनुभवी नहीं है।
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पीएचसी का महीने का खर्च 30 लाख-

जानकारी के अनुसार भालता पीएचसी सहित जिले की 3 पीएचसी पीपीपी मोड़ पर दे रखी है। जिसमें आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ आपातकालीन सहित अन्य सुविधाओं पर हर माह 30 लाख रुपए खर्च होते हैं लेकिन यहां मरीजों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। दो-दो डॉक्टर सहित 14 लोगों का स्टाफ है लेकिन समय पर आधे भी नहीं मिलते। ग्रामीण रामचंद्र रूहेला का कहना है कि मरीजों को रात में सुविधाएं भी नहीं मिलती।
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एम्बुलेंस भी नहीं भालता में-

पीएचसी घोषित हुए 20 साल हो चुके हैं। इसके बावजूद भी यहां एंबुलेंस की सुविधा तक नहीं है। यहां तक की 104 जननी सुरक्षा भी काफी खराब स्थिति में है। जिसकी और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे हैं। पीएचसी पर पोस्टमार्टम कराने जैसी सुविधा नहीं है। तो वहीं इस मामले पर जीएनएम व इंचार्ज पीएचसी का कहना कि किसान को बचाने की पूरी कोशिश की गई। रैफर कार्ड बना दिया और इंजेक्शन भी लगा दिया।
भालता पीएचसी अब पीपीपी मोड़ पर संचालित है। ऐसी अनियमितता हो रही है तो इनके अधिकारियों को पाबंद करेंगे। -साजिद खान-सीएमएचओ झालावाड़ इस मामले को दिखवाते हैं, डॉक्टर डेपोटेशन पर दूसरी जगह कार्यरत हैं। रही बात डॉक्टर को हटाने की तो हम पीपीपी के ऊपर के अधिकारियों से बात करेंगे। जो भी अनियमितताएं हैं, उन्हें दूर करेंगे। -आशीष कुमार, जिला कोर्डीनेटर, विष फाउण्डेशन, झालावाड़
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