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झालावाड़

मुआवजा नहीं मिलने से नाराज किसानों ने नहर निर्माण का काम रुकवाया, पूर्व सीएम ने किया था शिलान्यास

मुआवजा नहीं मिलने से नाराज किसानों ने नहर निर्माण का काम रुकवाया

झालावाड़May 17, 2019 / 05:10 pm

Nidhi Mishra

jhalawar farmers still waiting for compensation of their land

jhalawar farmers still waiting for compensation of their land

पिड़ावा/ झालावाड़। पिड़ावा क्षेत्र के लिए वरदान बनी चैंवली आहू बांध लिंक परियोजना का लाभ इस वर्ष किसानों को नहीं मिलता दिख रहा है। रूपाखेड़ी के किसानों ने मुआवजा नहीं मिलने के कारण लगभग 1 महीने पहले से ही कार्य बंद करवा दिया है। पूर्व भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व सांसद दुष्यंत सिंह ने 16 मई को शिलान्यास किया गया था। इस कार्य के पूर्ण होने पर गागरिन बांध के ओवरफ्लो पानी को चैंवली बांध में डालने के लिए गागरिन चैंवली लिंक नहर योजना शुरू की थी। इस कार्य में 5.2 किमी लिंक नहर का कार्य अधूरी तैयारियों के साथ शुरू कर दिया।

नहर निर्माण की चपेट में आ रही लगभग 60 किसानों की ज़मीन का मुआवजा नहीं दिया गया, जिससे नाराज़ किसानों ने रूपाखेड़ी के पास काम बंद करवा दिया। इससे इस वर्ष गागरिन बाँध का सरप्लस पानी चैंवली बांध में डालने की योजना पूरी होने का कार्य पूरा होना मुशकिल पड़ता दिख रहा है। रूपाखेड़ी के प्रभावित किसान राजेन्द्र सिंह, इंदरसिंह, भेरूसिंह, नरवर सिंह, तेज़ सिंह, नरसिंह, देवीसिंह, उदयसिंह सहित कई ने बताया की मुआवजे का आश्वासन देकर इस कार्य के लिए उनके खेत 7 मीटर की चौड़ाई में खोद दिए। खेत के बगीचों में लगे संतरे व आम के पेड़ों को तोड़ दिया। ग्रामीणों को इनका मुआवजा देने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन दो फसलों का पूरा सीज़न बीत जाने के बाद भी अभी तक मुआवजे को कोई चर्चा नहीं की गई। यहां तक कि प्रभावित किसानों को नोटिस तक जारी नहीं किये गए। जिम्मेदार अभियंताओं से भी कई बार ग्रामीणों ने गुहार लगाई, लेकिन उनके उदासीन रवैये को देखकर किसानों को कार्य बंद करवाना पड़ा।

गागरिन बांध आहू जैसी बड़ी नदी पर बना होने से हर साल 40 मिलियन क्यूबेक मीटर से अधिक पानी हर साल ओवर फ्लो होता है। वहीं चँवली बांध चंवली नदी पर बना हुआ है। इसमें भी बीच बीच में कई एनीकट बने हुए हैं। इसके कारण इस बांध में पानी की कम आवक होती है। बरसात के कम होने के बाद तो अक्सर यह खाली रह जाता है। बांध बनने के बाद से ही पिछले 14 सालों में से आधी यानी 7 बार चंवली बांध खाली रह चुका है। ऐसे में क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए पूरा पानी नहीं मिल पाता है। कई बार पानी के लिए किसानों को आंदोलन तक करना पड़ा है। ऐसे में सरकार ने चंवली से जुड़े किसानों की समस्या का समाधान करने के लिए गागरिन बांध से भारी मात्रा में ओवर फ्लो होकर व्यर्थ बह रहे पानी से चंवली बांध भरने की योजना शुरू की थी। जिसका कार्य बरसात से पूर्व पूरा होना था। लगभग 15 करोड़ की लागत से गागरिन बांध से जोड़ने के लिए केनाल व लिंक गेट बनाया जाना है।

गागरिन बांध केनाल सारंगाखेड़ा के पास तक चंवली नदी से जोड़ा जाना है। जिसमे 15 एमसीएम पानी चंवली बांध में डाले जाने की योजना है। इसमें से 2 एमसीएम पानी पेयजल व 13 एमसीएम पानी सिंचाई के लिए रिजर्व रखा जाना है। चंवली से जुड़े किसानों को सिंचाई व पेयजल से जुड़े क्षेत्रों को पेयजल संकट से निजात मिल सके। लेकिन अभियंताओं के अधूरी तैयारियों से शुरू किए गए कार्य का इस वर्ष पूरा होना असंभव प्रतीत होता दिखाई दे रहा है।

धारा 21 के तहत भूमि अवाप्ति कार्यालय से मुआवजे के लिए नोटिस तैयार किए जा रहे हैं। उसके बाद मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरु की जाएगी। —आर.डी. मीणा (सहायक अभियंता गागरीन परियोजना)


आहू चवली लिंक कैनाल के बीच में हमारे खेत आ रहे थे, जो कि खोद दिए गए हैं और अभी तक हमें मुआवजा भी नहीं दिया गया। —भवानी सिंह, किसान

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