मंगलवार-शनिवार को मंदिर में श्रद्धालुओं भारी भीड उमडती है। यहां राजस्थान के अन्य जिलों के अलावा मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश तक से दर्शनार्थी भी अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। मदिर की स्थापना को लेकर क्षेत्र वासियों के पास कोई प्रमाण नही है।
ग्रामीणों के अनुसार कई सालों से यहां एक छोटे से चबूतरे पर टीन शेड के नीचे बालाजी की प्रतिमा स्थापित रही है। तभी से यहां बड़ी संख्या में लोगों का आना जाना लगा रहा है। वर्ष 1993 में ट्रस्ट के गठन के बाद यहां एक बडी धर्मशाला बनाई। इसमें करीब 110 कमरे और जनसुविधाएं समेत यात्रियों के लिए बिस्तर ,पार्किग रसोई घर, की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। साथ ही यहां नाम मात्र के शुल्क में श्रद्धालुओं के लिए खाने की भी व्यवस्था उपलब्ध रहती है। यहां करीब 35 पंडित हैं जो लंबे समय से यात्रियों को कथा सुनाने, सुंदर कांड करने समेत मंदिर से जुड़े अन्य कई धार्मिक कार्यो को संपन्न कराते है।
राम मंदिर का चल रहा निर्माण यहां वर्ष 2007 से राम-जानकी मंदिर का निर्माण चल रहा है। संगमरमर के सफेद पत्थर से हो रहे निर्माण पर अब तक करीब 6 करोड की राशि लग चुकी है। यहां की आरती की एक विशेषता है। संध्या के समय होने वाली आरती में भूत-प्रेतों की हाजरी होती है।
विशाल पांडाल में स्थापित बालाजी की मंगलवार शनिवार को महाआरती होती है। इस दौरान जो भी महिला-पुरूष किसी भूत प्रेत की बाहरी हवा के प्रभाव में होते है वह यहां लगी जालियों को पकड़ कर खड़े हो जाते हैं और कुछ ही देर में पीडि़त का शरीर क्रियाशील होकर बालाजी की प्रतिमा से सवाल जवाब के रूप में बात करना आरंभ करता है। कहते है, कि पांच बार यहां इसी तरह निर्धारित दिनों मेंं आरती में शामिल होने पर बालाजी दंड देते है और प्रेत आत्माएं पीडि़त के शरीर को छोड़ देते है। यहां अब तक अनगिनत लोग इसी तरह की बीमारियों से ठीक होकर अपने घरों को लौट चुके है।