कोरोना के पॉजिटिव मरीजों को एंबुलेंस 108 के जरिए निरूशुल्क भेजाजाता हैए लेकिन जिला मुख्यालय के आस.पास की दो दर्जन से अधिक एम्बुलेंस इस काम को बखूबी कर रही है। लेकिन मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण मरीजों को निजी एम्बुलेंस संचालकों के जरिए जाना मजबूरी बना हुआ है। एक निजी एम्बुलेंस संचालक ने बताया कि डीजल में बेतहाशा बढ़ोतरी होने के बावजूद झालावाड़ में निजी एम्बुलेंस की प्रति किलोमीटर की दरें तय नहीं है। इस कारण फिलहाल झालावाड़ से कोटा व जयपुर रैफर मरीजों से सामान्य किराया से अधिक लिए जा रहे हैं। कोटा के पहले 1500 रुपए लिए जा रहे थेए लेकिन अब 1800तक लिए जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण की स्थित में चालक द्वारा पीपीई किट पहनने के चलते भी अधिक किराया लिया जा रहा है। किट पर एक हजार रूपए का खर्चा आता है। ऐसे में यह राशि मरीज के परिजनों से ही ली जाती हैए हालांकि ऑक्सीजन की जरूरत के हिसाब से भी पैसे कम .ज्यादा किए जाते हैं।
कोरोना संक्रमण में लोग वैसे ही परेशान है ऐसे में मरीज लुट रहे हैं, ऐसे हालात में प्रशासन को एम्बुलेंस वालों की प्रति किलोमीटर दर प्रशासन को तय करनी चाहिए। साथ ही रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर निजी एम्बुलेंस संचालक को पीपीई किट देने से आम मरीज को फायदा होगा। निजी एम्बुलेंस चालकों के अनुसार किसी भी मरीज को कोरोना हो सकता है। ऐसे में रैफर मरीज को लेकर जाने में जान जोखिम में डालकर ले जाते हैं। एक बार छोड़कर आने के बाद वाहन को पूरी तरह से सेनेटाइज करवाना होता हैए यही कारण है कि किराया ज्यादा लिया जाता है।
जिले में इस समय करीब 70 निजी एंबुलेंस है। इसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली कई साधारण वाहन भी मरीजों को लेकर जाते है। जो कि मानक के अनुरूप भी नहीं है। साथ ही मरीज के लिए हादसे का कारण बन सकती है। एक चालक ने बताया कि डीटीओ ऑफिस में रजिस्ट्रेशन के बाद ही कोई एंबुलेंस चला सकता है। शहर में चल रही कई एंबुलेंस में मरीज की जान बचाने के लिए न तो कोई जीवन रक्षक उपकरण लगे हुए है और न ही कोई कोरोना के लिए जरूरी संसाधन।
एम्बुलेंस में एक चालकए एक इमरजेंसीमेडिकल टेक्नीशियन व एक नर्स 24 घंटे तैनात रहने चाहिएए जिसेस मरीज की देखभाल की जा सके। मरीज को चढ़ाने और उतारने के लिए तीन तरह के स्ट्रेचर व ट्रॉली होनी चाहिएए। एंबुलेंस के अंदर पंखाए ऑक्सीजनए सक्शन मशीनए स्लाइनए प्रसव की सुविधा व जरूरी दवाएं उपलब्ध होने चाहिए। हार्ट अटैक के मरीज के लिए एम्बुलेंस में डीफेबरी मशीन होनी चाहिए। लेकिन शहर में चल रही कई एम्बुलेंस में ये सुविधाए नहीं हैए ऐसे में मरीजों को परेशानी होती है।
जिले के अकलेरा के राम प्रसाद ने बताया कि में मेरे फूफा जी को ले कर कोटा गया लेकिन 1800 रुपए लिए! वहीं झालावाड़ के सुरेश कुमार ने बताया कि मेरे पिता जी को कोटा हार्ट में दिखाना था एंबुलेंस नहीं मिलने पर निजी एंबुलेंस से लेकर गएए जिसमें 1700 रुपए लिएए जबकि कोरोना से पहले 1500 रुपए में ले जा रहे थे!
शहर में निजी एम्बुलेंस-40, जिलेभर में 70
. सरकारी एम्बुलेंस-45 हमारे यहां तो पंजीयन होता है-
जिलेभर में करीब 70एम्बुलेंस हैए ज्यादातर तो बेसिक एम्बुलेंस ही हैए हमारे द्वारा इनका पंजीयन किया जाता है। बाकी इनका निरीक्षण तो सीएमएचओ ऑफिस द्वारा किया जाता है।
समीर जैनए जिला परिवहन अधिकारी, झालावाड़।
चिकित्सालय परिसर में अगर एम्बुलेंस संचालक मनमाना किराया वसूल रहे है तो हमारे गार्ड से बोलेंगे निगरानी रखे। जिला प्रशासन को अवगत कराकर इन पर कंट्रोल करने व किराया तय करने के लिए बोलेंगेए ताकि कोरोना में मरीजों को कोई परेशानी नहीं हो।
डॉ.राजेन्द्र गुप्ताए अधीक्षक एसआरजी चिकित्साल, झालावाड़।