पारिवारिक झगड़े ने लील ली छोटे से बच्चे की जिंदगी
झालावाड़ के निकट मंडावर में रविवार रात जमीन के विवाद को लेकर परिवार के झगड़े में एक बालक की मौत हो गई। वहीं गंभीर घायल मृतक के चाचा को राजकीय एस आरजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। अस्पताल पुलिस चौकी के महेंद्र सिंह ने बताया कि मंडावर निवासी भोजराज भील रविवार रात करीब 9.00 बजे अपने घर से बाजार की ओर जा रहा था। रास्ते में उसके काका देवीलाल उनका पुत्र ताराचंद और अनार सिंह ने लकड़ियों से उस पर हमला बोल दिया। उसे बचाने आए उसके छोटे भाई 15 वर्षीय दिलीप भील पर भी हमला किया। घायलों को जिला अस्पताल लाया गया। यहां चिकित्सकों ने दिलीप तो मृत घोषित कर दिया। वहीं भोजराज को चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। घायल भोजराज ने बताया कि उसके और उसके काका के बीच पुश्तैनी जमीन को लेकर झगड़ा चल रहा है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। वहीं मृतक बालक के शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रखवाया गया है।
मोर्चरी में नहीं होगी शवों की दुर्गति
झालावाड़ राजकीय एसआरजी चिकित्सालय परिसर में स्थित मोर्चरी में अब शवों की दुर्गति नहीं होगी, क्योकि यहां करीब साढ़े दस लाख की लागत से चार ड्रीप फ्रीजर लगाए गए हैं। पुराने शवों के पोस्टमार्टम करते समय आने वाली परेशानी से राहत के लिए ओपन पोस्टमार्टम रुप का भी निर्माण किया गया है। वहीं मृतकों के परिजनो व कार्रवाई करने वाले पुलिसकर्मी भी अब खुले आसमां की जगह प्रतीक्षालय में बैठ सकेंगे। अब परिजनों से विसरे के लिए कांच का जार व शव को लपटने के लिए चादर भी नहीं मांगी जाएगी। यह दोनो भी मोर्चरी में उपलब्ध रहेगें।
यह आती थी परेशानी
जिले में व आसपास के क्षेत्र में घटना व दुर्घटना में मृतकों के शव के पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय पर स्थित राजकीय एसआरजी चिकित्सालय के मोर्चरी में शवों को लाया जाता है। यहां मोर्चरी परिसर में बने एक कक्ष में शत विक्षत शवों को स्टेंचर पर डाल कर रख दिया जाता था। रात में मोस्टमार्टम नही होने से व लावारिस की शिनाख्त के लिए शवों को मेडिकल कॉलेज के ड्रीप फीजर में पहुंचाना पड़ता था। रात्री में अस्पताल से मेडिकल कॉलेज परिसर तक पहुंचाने में परिजनों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था।
जिले में व आसपास के क्षेत्र में घटना व दुर्घटना में मृतकों के शव के पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय पर स्थित राजकीय एसआरजी चिकित्सालय के मोर्चरी में शवों को लाया जाता है। यहां मोर्चरी परिसर में बने एक कक्ष में शत विक्षत शवों को स्टेंचर पर डाल कर रख दिया जाता था। रात में मोस्टमार्टम नही होने से व लावारिस की शिनाख्त के लिए शवों को मेडिकल कॉलेज के ड्रीप फीजर में पहुंचाना पड़ता था। रात्री में अस्पताल से मेडिकल कॉलेज परिसर तक पहुंचाने में परिजनों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था।
खराब शव के पोस्टमार्टम से संक्रमण का खतरा
पोस्टमार्टम के लिए कई बार सड़े गले शव भी जाते है, मोर्चरी के एक कक्ष में चिकित्सकों को उनके पोस्टमार्टम करते समय भारी परेशानी व संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसलिए इसके लिए परिसर में ओपन पोस्टमार्टम रुम का भी निर्माण कर दिया गया है। इसमें ऊपर की ओर रोशनदान की जगह चारो ओर लोहे की जालिया लगाई गई ताकि शव की दुर्गंध में परेशानी ना हो।
पोस्टमार्टम के लिए कई बार सड़े गले शव भी जाते है, मोर्चरी के एक कक्ष में चिकित्सकों को उनके पोस्टमार्टम करते समय भारी परेशानी व संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसलिए इसके लिए परिसर में ओपन पोस्टमार्टम रुम का भी निर्माण कर दिया गया है। इसमें ऊपर की ओर रोशनदान की जगह चारो ओर लोहे की जालिया लगाई गई ताकि शव की दुर्गंध में परेशानी ना हो।