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झालावाड़

चार माह के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक

आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी पर मंगलवार को देवशयनी एकादशी मनाई गई। इसके साथ ही चार माह के लिए भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करने चले गए। अब चार माह तक विवाह आदि मांगलिक कार्यो पर विराम लग गया

झालावाड़Jul 20, 2021 / 09:38 pm

Ranjeet singh solanki

चार माह के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक

चार माह के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक

झलावाड़, झालरापाटन. आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी पर मंगलवार को देवशयनी एकादशी मनाई गई। इसके साथ ही चार माह के लिए भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करने चले गए। अब चार माह तक विवाह आदि मांगलिक कार्यो पर विराम लग गया है। वहीं चातुर्मास भी शुरू हो गए। अब 14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल एकादशी पर चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके साथ ही मांगलिक कार्य शुरू हो पाएंगे। कस्बे के मंदिरों में देवशयनी एकादशी पर विशेष आयोजन हुए। श्रीमन नारायण मंदिर में ठाकुरजी की विशेष झांकी के दर्शन कराए गए। श्रीमन नारायण मंदिर में मंगलवार को दिनभर महिलाओं की मंडली ने भजन कीर्तन किए। वहीं आचार्य प्रेमशंकर शर्मा, दिलीप शर्मा, राजेन्द्र शर्मा व श्याम शर्मा ने भगवान नारायण, श्रीदेवी, भूदेवी का मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत अभिषेक किया। ठाकुरजी का विशेष आभूषण व वस्त्रों से अलंकृत कर सजाया गया। उसके बाद महाआरती की गई। द्वारिकाधीश मंदिर, सूर्य मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भगवान का श्रृंगार किया। देवशयनी एकादशी पर युवतियों ने श्रेष्ठ वर की कामना के लिए कपड़े की लाडिय़ां बनाकर चन्द्रभागा नदी व गौमतीसागर तालाब में बहाई। इस दौरान युवतियों ने गीत गाए और गुड व धानी का प्रसाद वितरित किया। पनवाड़. देवशयनी एकादशी के साथ ही मंगलवार से मांगलिक आयोजनों पर विराम लग गया। इस दौरान विवाह संस्कार सहित मांगलिक कार्यक्रम वर्जित रहेंगे। चार माह बाद देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू होंगे। एकादशी पर बालिकाओं ने लाडी बोहनी पर्व मनाया। बालिकाएं रंग-बिरंगे कपडों से बनी लाडिय़ां लेकर सखियों के साथ नदी के तट पर पहुंची और पूजा-अर्चना कर नदी में विसर्जित किया तथा गुड, शक्कर व गेहूं से बने प्रसाद का वितरण किया। सुबह से घरों में बालिकाएं दुल्हन रूपी लाडियां बनाने में जुटी रही। देर शाम समदखेडी धाम के पास कालीसिंध नदी, दहीखेडा में उजाड नदी,चलेट में पातालेश्वर महादेव मंदिर के पास नदी में लाडियों को विसर्जित किया। देवशयनी एकादशी के साथ ही शहनाइयों की गूंज भी थम गई। चार माह बाद देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।

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