एसएमएस से चलेगा पता-
जिस भी कंपनी की दवा होगी उस पर उस कंपनी द्वारा कोड अंकित किया जाता है, उसकी फिङ्क्षडग कंपनी अपनी वेबसाइट में कर देती है। एसएमएस या फिर वेबसाइट से मिलान करने पर अगर कोड सही होता तो दवा की ओके रिपोर्ट भेज दी जाती है। अगर नकली दवा होती है तो उसे कोड को गलत बताया जाता है, इस व्यवस्था से नकली दवा और एक्सपायरी वाली दवाओं पर का पता आसानी से चल जाता है। इससे नकली दवा बैचने पर लगाम लगेगी।
ऐसे करें पहचान-
कोई भी उपभोक्ता दवाओं के ऊपर डेट ऑफ एक्सपॉयरी, एमएफडी, बैच नंबर, बारकोड के साथ ही अब अलग से अल्फान्यूमेरिक कोड पिं्रट किए जाएंगे। इसके साथ ही एक एसएमएस नंबर भी दवा पर ही अंकित होगा, जिस नंबर पर मैसज में दवा की स्ट्रिप पर मौजूद अल्फान्यूमेरिक कोड को भेजना होगा। इस पर दवा असली है तो कंपनी इसकी तुरंत ओके रिपोर्ट भेज देगी। अगर नकली होगी तो कोई रिस्पांस नहीं आएगा या फिर गलत होने का संदेश भेज देगी। इस कोड को एक ही बार इस्तेमाल किया जा सकेगा।
हां अब न्यूमेरिक कोड होगा दवाइयों पर-
दवाओं के असली-नकली के लिए दवा कंपनियों ने दवा पर ही न्यूमेरिक कोड डालना शुरू किया है। अब कोई भी उपभोक्ता दवा के असली-नकली होने का या एक्सपायॅरी होने का पता कर सकता है।
नरेन्द्र राठौर, ड्रग इंस्पेक्टर, सीएमएचओ, झालावाड़।