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झालावाड़

15 फीसदी राजकीय स्कूलों में वनमैन आर्मी

-२66 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे, गुरूजी कहीं जाएं तो हो जाती है छुट्टी

झालावाड़Jan 15, 2018 / 12:37 pm

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15 फीसदी राजकीय स्कूलों में वनमैन आर्मीÓ

झालावाड़. अब इन्हें आप क्लर्क मान लें, व्यवस्थापक मान लें या गुरुजी! बस यही वन मैन आर्मी हैं। स्कूल के तालेे खोलने से लेकर पोषाहार, डाक, पानी समेत कई सभी काम इन्हीं को करने हैं। ऐसे एक दो नहीं, पूरे 266 स्कूल हैं जहां सिर्फ एक गुरुजी के भरोसे बच्चे हैं। जिले के कुल स्कूलों के हिसाब से देखें तो यह आंकड़ा १५ फीसदी बैठता है। ऐसे में सरकार प्राथमिक शिक्षा मजबूत करने की बाज भले ही कर रही हो, लेकिन एकल शिक्षक होने से कई बार कागजी काम में ही शिक्षक का पूरा समय निकल जाता है। ऐसे में छात्रों की पढ़ाई न के बराबर होती है।
इतने स्कूल एक गुरुजी के भरोसे-
प्रारंभिक शिक्षा में २६६ स्कूलों के विद्यार्थी एक गुरुजी के भरोसे ही हैं। इसके चलते यहां के विद्यार्थियों को कई बार बिना गुरूजी के ही अध्ययन करना पड़ता है। वहीं कई बार तो गुरूजी डाक देने झालावाड़ चले जाते हैं। ऐसी स्थिति में पूरा स्कूल ही बंद रहता है। शिक्षकों के प्रशिक्षण में जाने पर कई दिन तक ऐसे स्कूल बंद रहते हैं। पोषाहार बनवाने व रिकॉर्ड बनाने में ही अकेले शिक्षक का समय निकल जाता है। ऐसे में विद्यार्थियों की पूरी पढ़ाई चौपट हो जाती है।
ब्लॉक वाइज एकल विद्यालय
१.अकलेरा-62
२.बकानी-18
३.भवानीमंडी- 26
४.डग- 50
५.खानपुर- 8
६.मनोहरथाना- 44
७.झालरापाटन – 35
८. सुनेल- 23

ऐसे समझे एकल स्कूल की पीड़ा-
एक शिक्षिका के भरोसे१८७ विद्यार्थी-
पिड़ावा ब्लॉक का एक स्कूल तीन साल से शिक्षकों की बाट जो रहा है। इसके चलते छात्रों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। यह मामला है राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय माता चौक पिड़ावा का। यहां सात कक्षाएं भगवान भरोसे ही हैं। यहां एक ही शिक्षिका के होने से शेष एक ही कक्षा की पढ़ाई हो पाती है। शेष सात कक्षाएं भगवान भरोसे ही रहती है। विद्यार्थी अपने हिसाब से ही पढ़ाई करते रहते हैं।
2015 से अकेली है शिक्षिका-
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय माता चौक पिड़ावा में २०१५ से अकेली ही शिक्षिका है। यहां जुलाई में एक शिक्षक को लगाया गया तो कुछ दिनों बाद ही उनका प्रमोशन होने से वहां से ट्रांसर्फर हो गया। जब से ऐसी स्थिति चल रही है। ऐसे में शिक्षिका का डाक पहुंचाने व पोषाहार बनवाने सहित सभी कामों के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
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तीन साल से मिल रहे आश्वासन-
स्कूल में शिक्षकों की कमी होने से हर बार आश्वासन मिल रहे हैं। अभी हाल ही में सहायक निदेशक सुरेशचन्द्र अग्रवाल ने भी स्कूल का दौरा किया था। उन्हें भी स्थिति से अगवत कराया गया था। उन्होंने शीघ्र शिक्षक लगाने की कही थी। लेकिन हालात यथायत बने हुए है। वहीं अन्य स्कूलों में बीएड प्रशिक्षणार्थियों की ड्यूटी लगाई गई है। लेकिन यहां उनकी भी नहीं लगाई है। ऐसे में शिक्षिका एक कक्षा को पढ़ती है। शेष कक्षाओं को काम दे दिया जाता है। बच्चे अपने हिसाब से स्वयं ही पढ़ते रहते हैं। यहां सात शिक्षकों के पद स्वीकृत है। लेकिन तीन साल से एक ही शिक्षिका कार्य संभाले हुए है। ऐसे में क्या शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आ पाएगा।
छात्राएं बोली बोर्ड कक्षा लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं-
स्कूल में आठवीं कक्षा में अध्ययन करने वाली छात्रा मुस्कान सहित अन्य छात्राओं ने एक स्वर में बताया कि हमारे आठवीं बोर्ड कक्षा है। लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है। ऐसे में बोर्ड कक्षा की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो रही है।
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यह कहना है अधिकारियों का-
जिन स्कलों में कम नामांकन है, वहां ही एकल शिक्षक है, अभी समानीकरण कर रहे हैं। जिन स्कूलों में नामांकन बढ़ गया होगा वहां शिक्षक लगा दिए जाएंगे। पिड़ावा के स्कूल में पता करेंगे क्यों शिक्षक नहीं लगे।
गंगाधर मीणा, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक, शिक्षा झालावाड़।

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