जिले में पहले सेटलमेंट विभाग काम कर रहा था, लेकिन लंबे समय से सेटलमेंट विभाग के कर्मचारी नहीं होने से सेटलमेेंट का काम भी पटवारियों व भू निरीक्षकों व अन्य व्यक्तियों से करवाया जा रहा है। इसके चलते काम सही नहीं हो पा रहा है। इसके तीन साल से चल रहा सेटलमेंट का काम गति नहीं पकड़ पा रहा है। वहीं जो कम्प्यूटर ऑपरेटर लगा रखे हैं, वह भी इसके जानकार नहीं होने से त्रुटि होने की आशंका बनी हुई है। इसके चलते जमीन के पड़ौसियों में लड़ाई-झगड़ा होने की आशंका रहेगी। जिले में भूप्रबंध हुए लंबा समय हो चुका है। अधिकांश नक्शों में तरमीमें नहीं होने से पटवारियों के पास उपलब्ध नक्शें एवं जमाबंदी/ नामान्तरण में संलग्न नक्शा ट्रेस अनुसार तरमीमें की जा रही है। उसके बाद संबंधित फर्म द्वारा जो नक्शा उपलब्ध करवाया जा रहा है। उसमें भी सेटलमेंट के बाद से अब तक के बढ़े हुए नंबरों की तरमीम करनी है। इससे भी इसमें अधिक समय लग रहा है। वहीं कोई भी त्रुटि होने पर लोगों के लड़ाई -झगड़े से कर्मचारी डरे हुए है। तो पुलिस व न्यायालय की कार्रवाई से भी कर्मचारी डरे हुए है।
हर 20 साल का है नियम-
सेटलमेंट विभाग द्वारा हर बीस वर्ष में जमीन का सेटलमेंट किए जाने का नियम है। लेकिन विभाग के जिले में कोई कर्मचारी नहीं होने से यह काम पटवारियों व भू-अभिलेख निरीक्षकों को ही करने पड़ रहे हैं।वहीं कई पटवार हल्कों में पटवारियों के रिक्त पद होने से इस काम में काफी परेशानी आ रही है। जिले में सेटलमेंट का काम हुए ४८ साल हो गए है।
सेलटमेंट में किसी किसान या किसी गांव में जो जमीन ४० बीघा दिखा रखी है। वह नक्शे में ३५ बीघा ही आ रही है,ऐसे में जमीन को लेकर आए दिन झगड़े होते रहेंगे।
यह जानकारी करनी है अपडेट-
ग्राम की जमाबंदी का अभी तक का अपडेशन, सभी नामांतकरणों का राजस्व रिकार्ड करना, अपवादित खातों का निस्तारण करना,खातों का सेग्रीगेट करना ताकि प्रत्येक कश्तकार की जाति, हिस्सा, या किसी बैंक में रहन रखा है, तो उसका भी अंकन करना होगा। बंटवारे के कारण खसरों की संख्चया बढ़ जाने से खसरा इंडेक्स संशोधन,खातों को नए नंबर देना, प्रत्येक खाते को ई-धरती सॉफ्टवेयर अनुसार फीड करना होगा।
जिले मे ं२५२ ग्राम पंचायतों के सभी राजस्व गांवों के ग्राम के कैडस्ट्रल मैप का गत सैटलमेंट के बाद की मूल शीट (मोमिया अथवा स्टेण्डर्ड पेपर पर) उसे कंपनी द्वारा स्कैन किया जा रहा है।इसके बाद मूल शीट से मिलान किया जाना है। साथ ही ऐसे खसरे जो नक्शे / लठठा शीट,मोमिया शीट में जांच करनी है। वहीं दोनों तरीके से खसरे के स्वामित्व की जानकारी करनी होगी। ऐसे में कर्मचारियों के टोटे की वजह से काम में परेशानी आ रही है।
फैक्ट फाइल-
जिले में पटवारी मंडल- ३२३
भू-अभिलेख निरीक्षक-८१
राजस्व गांव-१६३५
तहसील-१०
मोमिया शीट- २५२२
कुल तरमीमें- ७८४०३
पटवारियों द्वारा सेग्रीगेशन व तरमीम करने के बाद प्रत्येक सीट के एक हजार रुपए दिए जाएंगे। पटवारियों द्वारा दी जाने वाली रिपोर्ट को एक निजी कंपनी द्वारा डिजीटाइल करना है।
क्या होता है सेटलमेंट-
भू-प्रबंध विभाग द्वारा हर २० वर्ष में जमीन के खसरा नंबर व नक्शे व बहुत पुराने हो चुके पट्टो आदि के रिकॉर्ड को संधारित कर नए रूप में पेश करना है। लेकिन इसमें ५० से ९० बीघा के खसरे व पट्टों में परेशानी आ रही है। क्योंकि जिले में १९७१-७२ में भूमि का सेंटलमेंट हुआ था। उसके बाद से नहीं हुआ है। वहीं राजस्व विभाग के अधिकारियों व पटवारियों के पास उपकरण भी पर्याप्त नहीं है। पहले इसी काम को करने के लिए कोटा से अमीन आया करते थे।
सेग्रीगेशन में किसी की दस बीघा भूमि है तो उसका बराबरार हिस्सा कर रहे हैं। फिर भी किसी को कोई परेशानी होगी तो कोर्ट में जाएगा। हम तो आज की तारीख के हिसाब से खसरा नंबर व दिशा मिलान कर ही तरमीम कर रहे हैं। कोई भी विवाद वाली जमीन की तरमीम नहीं कर रहे हैं।
भारतसिंह तहसीलदार, एलआर, मिनी सचिवालय,झालावाड़।