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झालावाड़

कृषि संकाय के स्कूल खोल दिए, शिक्षक नहीं लगाए, आखिर पढ़ाएगा कौन

 
– जिले के 17 स्कूलों में एक भी व्याख्याता नहीं

झालावाड़Aug 11, 2022 / 09:28 pm

harisingh gurjar

Schools of the Faculty of Agriculture were opened, teachers were not e

कृषि संकाय के स्कूल खोल दिए, शिक्षक नहीं लगाए, आखिर पढ़ाएगा कौन

झालावाड.राज्य सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए प्रदेशभर में नए कृषि संकाय खोल दिए है, लेकिन हैरानीवाली बात यह है कि शिक्षक नहीं लगाण् है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि विद्यार्थियों को कृषि संकाय कौन पढ़ाएगा।
जिले में करीब एक हजार से अधिक कृषि संकाय के छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। झालावाड़ में सरकार ने 17 स्कूलों में कृषि संकाय तो खोल दिया है। लेकिन एक में भी कृषि संकाय के व्याख्याता नहीं है। करीब डेढ़ दर्जन के ओर प्रस्ताव मांगे गए है। ऐसे में पुराने स्कूलों का अमला खाली है, नए फिर से खोलने का क्या फायदा होगा। स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने वाला कोई नहीं होने से विद्यार्थी भगवान भरोसे स्वयं ही पढ़ाई करने को मजबूर है। उन्हें प्रायोगिक जानकारी भी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में कृषि विज्ञान संकाय होने का छात्रों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। गरीब किसानों,अभिभावकों के बेटों को निजी शिक्षण संस्थानों का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में उन्हे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिले में पूर्व में संचालित विज्ञान संकाय के स्कूलों में फिर से

दस पद स्वीकृत दस ही खाली-
कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं तो ला रही है। लेकिन जिले में 17 कृषि संकाय के स्कूलों में एक भी पढ़ाने वाला व्याख्याता नहीं लगा रही है।। ऐसे में कृषि संकाय के करीब एक हजार छात्रों का भविष्य दावं पर लगा हुआ है। लम्बे समय से व्याख्याताओं की भर्ती नहीं होने से जिले को एक भी व्याख्याता नहीं मिल पाया है। यहां 10 पद स्वीकृत है, सभी खाली है। जिले में करीब 60 व्याख्याताओं सहित 9 फिल्ड प्रभारियों की आवश्यकता है।

नहीं होते हैं प्रेक्टिकल-
जिले में कृषि संकाय में एक भी व्याख्याता नहीं होने से छात्रों के कृषि संबंधी प्रेक्टिल भी नहीं हो पाते हैं। वहीं छात्रों को विज्ञान संकाय के दूसरे शिक्षकों के भरोसे रहना पड़ता है। उनकी भी कमी होने से वह अपने विषय की ही पढ़ाई करवा पाते हैं। ऐसे में12वीं बोर्ड के विद्यार्थियों ने बताया कि समय पर कोर्स पूरा नहीं हो पाता है, ऐसे में बोर्ड परीक्षा को लेकर पेरशान है, कैसे तैयारी करेंगे।

जिले के सबसे पुराने स्कूलों में नहीं है पढ़ाने वाले
जिले में करीब 22 वर्षो से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय झालरापाटन व खानपुर में कृषि संकाय विषय चल रहे हैं, लेकिन वर्तमान में यहां भी एक भी व्याख्याता नहीं है। ऐसे में छात्रों ने बताया कि पढ़ाने वाला कोई नहीं होने से थ्योरी व प्रेक्टिल की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। बिना फिल्ड ज्ञान के थ्योरी से कुछ समझ में नहीं आता है। खेतों में सीखा हुआ ज्ञान ही आगे काम आता है।

ये काम हो रहे प्रभावित-
बिना गुरूजी के छात्रों को कृषि उत्पादकता को बढ़ाने फसलों की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार, कीट तथा खरपतवारों पर सुरक्षित और प्रभावी तरीके से नियंत्रण और मृदा तथा जल संरक्षण में सुधार के उपायों के सुझाव जैसे काम के बारे में छात्र अनभिज्ञ है। इसके साथ ही कृषि कार्यों जैसे बीज उपचार व बीज की बुवाई कब की जाती है आदि की प्रायोगिक जानकारी नहीं मिल पा रही है। तो कृषि महाविद्यालयों की विजीट भी नहीं करवाई जा रही है।


स्कूल खोल दिए पद स्वीकृत करना भूल गए-

जिले के राउमावि कचनारा ,पगारिया,खारपाकला ,माथनिया ,उन्हेल, आमेठा, रटलाई में स्कूल तो खोल दिए गए है, लेकिन यहां व्याख्याता के पद ही स्वीकृत करना सरकार भूल गई है।


फैक्ट फाइल
स्कूल का नाम स्वीकृत पद रिक्त पद
राउमावि झा.पाटन 2 रिक्त
राआउमावि म.थाना 1 रिक्त
राआउमावि पिड़ावा 1 रिक्त
राआउमावि डग 1 रिक्त
राआउमावि चौमहला 1 रिक्त
राआउमावि खानपुर 1 रिक्त
राआउमावि बकानी 1 रिक्त
राउमावि भण्मंडी 1 रिक्त
राआउमावि अकलेरा 1 रिक्त
राउमावि गंगधार 1 रिक्त


बोर्ड परीक्षा की चिंता-
कृषि संकाय के विषय विशेषज्ञ नहीं होने से हमारी पढ़ाई सुचारू रुप से नहीं हो पा रही है। बोर्ड कक्षा होने से परेशानी तो होती है।
तनीषा चौरसिया, राउमावि, बकानी।


शिक्षणबाधित नहीं होग-
जब तक भर्ती होगी तब तक विज्ञान संकाय के व्याख्याता ही पढ़ाएंगे। खाली पदों के बारे में राज्य सरकार को अवगत करा दिया है। शिक्षण कार्य बाधित नहीं होने देंगे।
हरिशंकर शर्मा, डीईओ, झालावाड़।

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