बाबूजी को सम्मान मिलते देख, खुशी से दमके चेहरे
-जिले के किसान हुकमचंद पाटीदार को पद्यश्री मिला-परिवार में हुआ खुशी का माहौल, आज लौटने पर होगा अभिनंदन समारोह
बाबूजी को सम्मान मिलते देख, खुशी से दमके चेहरे
बाबूजी को सम्मान मिलते देख, खुशी से दमके चेहरे
-जिले के किसान हुकमचंद पाटीदार को पद्यश्री मिला
-परिवार में हुआ खुशी का माहौल, आज लौटने पर होगा अभिनंदन समारोह
-जितेंद्र जैकी-
झालावाड़. जिस समय बाबूजी दिल्ली में राष्ट्रपति के हाथों पद्यश्री सम्मान ग्रहण कर रहे थे उस समय टेलीविजन पर देखकर परिवारजन खुशी व हर्षोल्लास से फूले नही समा पा रहे थे। भावुक होकर आंखे नम हो रही थी। टकटकी बांधे परिवार का छोटे से छोटा व बड़े से बड़ा सदस्य ने जैसे ही टीवी की स्कीन पर बाबूजी को राष्ट्रपति की ओर सम्मान लेने के लिए बढ़ते देखा तो खुशी से झूमते हुए चिल्ला उठे वो रहे बाबूजी। यह दृश्य जैविक खेती पर देश के प्रतिष्ठित सम्मान पद्यश्री प्राप्त करने वाले झालावाड़ जिले के असनावर कस्बे के निकट गांव मानपुरा में रहने वाले किसान हुकमचंद पाटीदार के परिवार में शनिवार पूर्वान्ह नजर आया। उधर टीवी पर नजर आते बाबूजी के मन में भी अपने परिवार, गांव,कस्बा, शहर, जिला, राज्य व देश का नाम जैविक खेती के माध्यम से रोशन करने का असीम सुख प्राप्त हो रहा होगा।
-गणतंत्र दिवस पर हुई घोषणा
भारत सरकार ने हुकमचंद पाटीदार को जैविक तरीके से खेती करने व जैविक ख्ेाती को बढ़ावा देने पर गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्यश्री देने की घोषणा की थी। शनिवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हे सम्मान समारोह में सम्मानित किया।
–परिवार के हर सदस्य में उत्साह
गांव मानपुरा में किसान हुकमचंद पाटीदार का संयुक्त परिवार रहता है। शनिवार को एक कक्ष में परिवार के सभी छोटे-बड़े सदस्य टेलीविजन के सामने जमा नजर आए। इसमें उनके भाई हंसराज पाटीदार, पुत्र इंदरराज पाटीदार, बहन जानकी बाई सहित परिजन संतोष बाई, सत्यभामा, अश्वनी, संजीवनी, कार्तिक, गार्गी, माही, आदर्श, विकास, विक्रम, शिवानी, प्रेरणा, काव्या, मनीषा, जिया व विष्णु प्रसाद के चेहरे पर खुशी झलक रही थी।
-पुत्र व भतीजी के साथ गए थे
किसान हुकमचंद पाटीदार दिल्ली में सम्मान ग्रहण करने के जिए 14 मार्च को दोपहर में अपने पुत्र विजय पाटीदार व भतीजी प्रियंका पाटीदार के साथ रवाना हुए थे। अब वह रविवार को लौटेगें।
-होगा अभिनंदन समारोह
जिले का नाम रोशन करने वाले व पद्यश्री पुरस्कार लेकर आने पर किसान हुकमचंद पाटीदार को रविवार को जिले की सरजमी पर अभिनंदन किया जाएगा। इसके लिए रविवार सुबह रेलवे स्टेशन पर उनका अभिनंदन होगा इसके बाद दोपहर करीब 12 बजे असनावर कस्बे में उनका जोरदार अभिनंदन समारोह आयोजित किया जाएगा।
-ऐसे हुई शुरुआत
पाटीदार ने 2004 में जैविक खेती की शुरूआत की थी, जो आज रंग लाई है। पाटीदार की मेहनत से जिले का नाम विदेशों मेें भी रोशन हो रहा है। पाटीदार द्वारा जैविक तरीके से तैयार की गई धनिया, मैथी, व लहुसन विदेशों में भेजी जा रही है। सात समुन्द्र पार के लोगों ने जैविक उत्पाद का महत्व समझा और सेहत को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हो, इसके चलते पाटीदार से मैथी, सौंप व लहसुन जैसे उत्पाद मंगवा रहे हैं। पाटीदार के परिवार में चार भाई चारों सुंयक्त रूप से रहते हैं, उनकी सफलता का राज यह भी है कि खेती में अधिक लोगों की जरुरत होती है, इसलिए उनके तीन छोटे भाई हंसराज, विष्णु प्रसाद, केवलचन्द सहित 18 सदस्यों का परिवार है जो मजदूरों के साथ-साथ स्वयं भी खेती में लगे रहते हैं।
-पूरी तरह से होती है जैविक खेती
हुकमचंद पाटीदार खेती में जैविक तरीके से बीजोपचार करके ही बुवाई करते हैं, तो फसल की कटाई होने के बाद ग्रेडिंग करते हैं। जैविक में समय ज्यादा लगता है कि लेकिन शुद्ध होने से विदेशो में अच्छा भाव मिल जाता है, गेहूं वैसे 17-20 रूपए किलो मिलते है,जैविक वाले 40-50 रूपए किलो तक बिक जाते हैं। बुवाई के लिए फसलों को मशीन में नहीं निकाल कर डंडे से कूट कर ही तैयार करते हैं। इसके बाद कटाई के बाद सूखाकर भंडारण करते हैं। वह गेहूं, कथूरी मैथी, धनिया, अफीम, सौंप, लहसुन आदि फसले रबी में करते हैं। जापान सहित कई अन्य देशों में भी लहुसन व धनिया भेजते हैं। पाटीदार स्वंय के खेत पर तैयार की हुई करीब 10 क्विंटल मैथी, 3 टन धनिया,5 क्विंटल सौंप,8-10 टन लहसुन मसाला वर्गीय फसल जापान की एक कंपनी को सीधे ही भेजते हैं। इससे पहले कलकता की एक कंपनी दो गुणे दाम पर घर से बेच देते थे। इसके बाद आगे माल पहुचाने का काम उस कंपनी का था। लेकिन अब माल स्वयं जापान भेजते है।पाटीदार द्वारा जैविक तरीके से किए गए गेहूं के लिए गुजरात के एक व्यापारी ने डिमांड भेजी है। वह 10 टन गेहूं की मांग कर रहे हैं। इनके पास चार किस्मों का गेहूं है, जो करीब 40-50 रुपए किलो बिकता है। वह 10 आरी के पट्टे पर अफीम की खेती कर रहे हैं। अफीम में चमक, बढ़वार व डोडे बनने आदि की प्रक्रिया में काफी अंतर होता है। उनके पास इस बार दुबई से करीब 80 टन संतरे की डिमांड आई है। वहां भेजने के लिए फिलहाल वार्ता चल रही है। दूध, दही, गोबर, घी,गोमूत्र, गुड़ आदि को मिलाकर एक सप्ताह तक एक ड्रम में रखते हैं। इसके बाद प्रथम सिंचाई के साथ ही पानी के धोरों में ड्रीप के माध्यम से छोड़ते है। वहीं कीट व्याधि के लिए भी गोमूत्र, लहसुन, तम्बाकू आदि द्वारा स्वयं द्वारा तैयार की दवाई काम में लेते हैं। पाटीदार ने पद्म श्री सम्मान का श्रेय सभी किसानों को दिया है जिन्होंने उनके कहने पर जैविक खेती शुरू की। अभी तक वह करीब 450 किसानों को प्रशिक्षण दे चुके है।
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