ढाई साल में दो कदम भी आगे नहीं बढ़ा प्रोजेक्ट
जनाना चिकित्सालय में शीघ्र ही नवजात शिशुओं को आंचल मदर मिल्क बैंक की सुविधा मुहैया कराने के लिए पूर्व में राज्य स्तरीय सलाहकार व मेडिकल कॉलेज के डीन व जनाना चिकित्सालय के तत्कालीन अधीक्षक आदि ने मिलकर अवलोकन कर चार कक्षों को मदर मिल्क बैंक के लिए तैयार करने के निर्देश मई 2018 में दिए थे, लेकिन ढ़ाई वर्ष निकलने के बाद काम में कोई गति नहीं आई है।
जनाना चिकित्सालय में शीघ्र ही नवजात शिशुओं को आंचल मदर मिल्क बैंक की सुविधा मुहैया कराने के लिए पूर्व में राज्य स्तरीय सलाहकार व मेडिकल कॉलेज के डीन व जनाना चिकित्सालय के तत्कालीन अधीक्षक आदि ने मिलकर अवलोकन कर चार कक्षों को मदर मिल्क बैंक के लिए तैयार करने के निर्देश मई 2018 में दिए थे, लेकिन ढ़ाई वर्ष निकलने के बाद काम में कोई गति नहीं आई है।
ये है योजना का उद्देश्य
झालावाड़ में अन्य जिलों की तर्ज पर मदर मिल्क बंैक तैयार किया जाना था, लेकिन पूरे ढाई साल निकलने के बाद भी इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। इसका उद्देश्य शिशु मृत्यु दर को नियन्त्रित करना एवं कुपोषण को जड़ से समाप्त करना है। इसमें वे माताएं दूध दान कर सकती है जो अपने बच्चे को स्तनपान कराती है और स्तनपान के बाद अतिरिक्त दूध होता है। वे माताएं जिनके बच्चे को चिकित्सा कारणों से स्तनपान कराने से रोक दिया गया है या जिनके बच्चे की मृत्यु हो गई करवा सकती है। वहीं इन माताओं के जांच में स्वस्थ्य पाए जाने पर दूध लिए जाने की व्यवस्था बैंक में करनी थी। बैंक में दूध दान के लिए पूरी तरह से परामर्श दिए जाने की व्यवस्था भी करनी थी। इस बैंक में 5 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर दूध सुरक्षित रखने की भी योजना है, लेकिन जिले में अभी तक योजना शुरू नहीं होने से नवजात शिशुओं को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
झालावाड़ में अन्य जिलों की तर्ज पर मदर मिल्क बंैक तैयार किया जाना था, लेकिन पूरे ढाई साल निकलने के बाद भी इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। इसका उद्देश्य शिशु मृत्यु दर को नियन्त्रित करना एवं कुपोषण को जड़ से समाप्त करना है। इसमें वे माताएं दूध दान कर सकती है जो अपने बच्चे को स्तनपान कराती है और स्तनपान के बाद अतिरिक्त दूध होता है। वे माताएं जिनके बच्चे को चिकित्सा कारणों से स्तनपान कराने से रोक दिया गया है या जिनके बच्चे की मृत्यु हो गई करवा सकती है। वहीं इन माताओं के जांच में स्वस्थ्य पाए जाने पर दूध लिए जाने की व्यवस्था बैंक में करनी थी। बैंक में दूध दान के लिए पूरी तरह से परामर्श दिए जाने की व्यवस्था भी करनी थी। इस बैंक में 5 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर दूध सुरक्षित रखने की भी योजना है, लेकिन जिले में अभी तक योजना शुरू नहीं होने से नवजात शिशुओं को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इतनी क्षमता की बननी है बैंक राजकीय जनाना चिकित्सालय में स्वीकृत आंचल मदर मिल्क बैंक की क्षमता 70 से 150 यूनिट को प्रोसेस करने की है तथा स्टोरेज क्षमता 2 हजार यूनिट है, बैंक में एक बार में 8-10 माताओं के बैठने आदि की व्यवस्था भी करनी थी, लेकिन यह अभी तक आकार नहीं ले पाई है। बजट घोषणा के अनुसार बैंक करीब 80 लाख रुपए की लागत से तीन से चार महीने में शुरू कर दिया जाना था, लेकिन ढाई साल निकलने के बाद भी योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई है।
यह होने थे लाभाविन्त विशेषज्ञों ने बताया कि बैंक से वह समस्त नवजात शिशु जो एनआईसीयू में मौत से लड़ रहे हैं, जिन्हें चिकित्सकीय कारणों से मां का दूध नहीं मिल पा रहा है, उन्हें मदर मिल्क बैंक से दूध नि:शुल्क उपलब्ध करवाना योजना का प्रमुख उद्देश्य था। चिकित्सकों ने बताया कि योजना चालू होती है तो दूध की कमी से एनआईसीयू में मरने वाले 100 बच्चों में से 16 बच्चों को बचाया जाना संभव हो सकेगा। दूध की कमी से जो बच्चा 10 दिन तक भर्ती रहता है, वह 6 दिन ही भर्ती रहेगा। वहीं दूध दान करने वाली धात्री माताओं को दूध बनने की क्षमता में वृद्धि होती है, साथ ही फेट तेजी से घटती है।
फिडिंग क्लिनिक की कमी हो रही महसूस सूत्रों ने बताया कि जनाना चिकित्सालय में प्रति दिन करीब 33-35 डिलेवरी होती है, इनमें ज्यादातर प्रथम बार बच्चे को जन्म देने वाली महिलाएं भी होती है। ऐसी स्थिति में उन्हें दूध फिडिंग का प्रशिक्षण देने की बहुत जरूरत होती है, लेकिन अभी इस तरह के प्रशिक्षण व परामर्श जनाना चिकित्सालय की प्रसुताओं को नहीं मिल पा रहा है।
इसलिए आगे नहीं बढ़ी बात
इसलिए आगे नहीं बढ़ी बात
सूत्रों ने बताया कि मेडिकल कॉलेज व जनाना चिकित्सालय प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन के अनुसार स्थान का चयन करके नहीं दिया है। प्रशासन ने छोटे से स्थान का चयन किया है। जिसमें बैंक चलाना संभव नहीं हो पाने की वजह से योजना खटाई में चली गई है। ऐसे में मेडिकल प्रशासन को इस कार्य में रूचि दिखाकर फिर से टैंडर प्रक्रिया शुरू करनी होगी। ताकि चिकित्सालय में समय से आंचल मदर मिल्क बैंक की स्थापना हो सके।
यह कहना है
यह कहना है
आंचल मदर मिल्क बैंक का मामला मेरे ज्वाइनिंग करने से पहले का है, पता करवाते हैं क्या परेशानी आ रही है, काम क्यों नहीं हो पाया है। डॉ.संजय जैन, अधीक्षक जनाना चिकित्सालय, झालावाड़।