विभाग की ओर से किराए के भवनों का किराया बहुत कम दिया जाता है। इसके चलते शौचालय वाला भवन मिलना संभव नहीं होता। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के मुताबिक उनके विभाग के पास बजट का अभाव है। ऐसे में विभाग की ओर से शौचालय का निर्माण नहीं करवाया जा सकता। ग्राम पंचायतें शौचालय का निर्माण करवा सकती है। लेकिन ग्राम पंचायतें भी हमेशा बजट का अभाव कह कर टालने की कोशिश करती रही है। पंचायतों के जनप्रतिनिधियों का कहना है कि उनके पास आय के पर्याप्त स्रोत नहीं है। सरकार की ओर से जो बजट मिलता है, वह भी निर्धारित मद के अनुसार उपलब्ध होता है, उसे दूसरी जगह खर्च नहीं किया जा सकता है। ऐसे में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शौचालय निर्माण नहीं हो पा रहे हैं। इसके चलते छात्रों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले में संचालित १४९२ आंगनबाड़ी केन्द्रों में से ८३१ आंगनबाड़ी केन्द्रों में शौचालय नहीं है। इनमें ज्यादातर केन्द्र ग्रामीण क्षेत्रों के है। इसके चलते यहां के छात्रों को खुले में शौच के लिए जाना पढ़ता है। या केन्द्र की आशा द्वारा बच्चे को घर भेजा जाता है। ऐसे में आधा समय निकलने के बाद बच्चा दूबारा केन्द्र पर नहीं आता है।
जिले की ज्यादातर ग्राम पंचायतों को भले ही ओडीएफ घोषित कर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने खूब वाह-वाही लूटी है, लेकिन जिले में बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शौचालय निर्माण नहीं होना ओडीएफ के दावों की पोल खोल रहे हैं। ऐसे में हालात में भी जिला स्तरीय टीम ने जिलो संपूर्ण रूप से ओडीएफ घोषित कर दिया है। हालांकि अभी राज्य स्तरीय टीम द्वारा ६२ ग्राम पंचातयों को ओडीएफ घोषित किया जाना शेष है।
जिले में१४९२ आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हो रहे हैं। लेकिन इनमें से ८७१ केन्द्र ऐसे हैं,जिनमें बिजली की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में छात्रों को भरी गर्मी में ४ घंटे बिना पंखे के ही बैठना पड़ता है।
जिले के भालता कस्बे में आंगनबाड़ी केन्द्र द्वितीय पर शौलाचय तो बना हुआ है। लंबे समय से बदहाल पड़ा हुआ है। इस और महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी और स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता व आशा सहयोगिनी का भी कोई ध्यान नहीं है। केन्द्र पर करीब 40 बच्चे अध्ययन के लिए आते हंै। ऐसे में उन्हें शौचालय व पीने के पानी के लिए घर जाना पड़ता है। तो कुछ बच्चे साथ में पानी की बोलते लेकर आते हैं। अभिभावकों का कहना है कि कई दिनों से शौचालय की ऐसे ही दुर्दशा हो रही है। लंबे समय से शौचालय खराब पड़े हुए है। केन्द्र के मुख्य दरवाजे टूटे होने से शराबी तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। ऐसे में शराबी रात के समय यहां शराब पीकर हंगामा करते है। इससे केन्द्र के आस-पास रहने वाले लोग भी परेशान होते हैं। आंगनबाड़ी केन्द्र में बिजली की सुविधा भी नहीं होने से छोटे बच्चे गर्मी से परेशान होते रहते हैं। वहीं आंगनबाड़ी केन्द्र में साफ-सफाई नहीं होने से हर तरफ गंदगी का आलम बना हुआ है।
रटलाई कस्बे में राजकीय कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय के निकट आंगनबाडी नंबर 6 में छात्रों को बिजली, पानी व शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया नहीं हो रही है। वहीं एक ही कमरा होने से छात्रों को गर्मी में बैठने में परेशानी होती है। केन्द्र में क्षतिग्रस्त टीन लगे हुए है इसके कारण बारिश के समय पानी अंदर आ जाता है। एक ही कमरे में केन्द्र के संचालित होने के कारण यहां पर बच्चों के बैठने पौषाहार रखने के साथ अन्य सामान रखने की समस्या होती है। वहीं यहां पीने के पानी व शौचालय की भी कोई सुविधा नहीं है। भीषण गर्मी में बच्चे बिना पंखे के ही यहां बैठने को मजबूर है।
जिले के खानपुर ब्लॉक के सोजपुर गांव में स्कूल के निकट बने आंगनबाड़ी केन्द्र में शौचालय तो बना हुआ है। लेकिन यह दो वर्ष से जर्जर अवस्था में हैं। इससे इसका उपयोग भी नहीं हो रहा है। इसके चलते कई बार केन्द्र से बच्चों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है। केन्द्र पर बिजली की सुविधा भी नही है। इसके चलते भीषण गर्मी में केन्द्र के ३५ बच्चों को गर्मी से परेशान होना पड़ता है। केन्द्र का फर्श भी उखड़ा हुआ है। इससे भी छात्रों को बैठने में परेशानी होती है।
डॉ.जीएम सय्यद, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग, झालावाड़।