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झालावाड़

9 दिन से पानी में डूबी वनस्पति की आपदा प्रबंधन नहीं ले रहा सुध

-हर्बल गार्डन में पानी भरने का मामला-प्रशासन के नाकाफी प्रयासों से आमजन में रोष

झालावाड़Aug 24, 2019 / 03:24 pm

arun tripathi

9 दिन से पानी में डूबी वनस्पति की  आपदा प्रबंधन नहीं ले रहा सुध

-हर्बल गार्डन में पानी भरने का मामला

झालरापाटन. हर्बल गार्डन में भरे पानी की निकासी के लिए प्रशासन द्वारा उचित कदम नहीं उठाने और वनस्पति के नुकसान को लेकर आमजन में रोष बढ़ता जा रहा है।
कस्बे में 15 अगस्त को मूसलाधार वर्षा होने से गोमती सागर तालाब के लबालब भरने के बाद पानी का रिसाव तेज होने से हर्बल गार्डन के कई ब्लॉक में उग रही वनस्पति और औषधीय पौधे जलमग्न हो गए। वन विभाग कर्मचारी के उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना देने के चार दिन बाद विभागीय अधिकारियों ने इसकी सुध ली। उपखण्ड अधिकारी व वन विभाग के अधिकारियों के हालात का जायजा लेने के बाद पास ही स्थित कुंड के बंद मौखों को खोलने और पानी को खाली कराने के जतन शुरू किए।
-पर्याप्त संसाधन उपलब्ध
प्रशासन के पास प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के लिए पर्याप्त संसाधन होने के बावजूद हर्बल गार्डन में जलमग्न हो रही वनस्पति को बचाने के लिए गार्डन में सरकारी स्तर पर कोई प्रयास शुरू नहीं हुए। इससे 8 दिन बाद अभी तक इसके एक हिस्से में पानी भरा रहने से पौधे डूबे हैं। अधिकारियों ने भी एक बार आकर दुबारा इस नायाब स्थान की सुध तक नहीं ली। वहीं पिछले चार दिन से कुंड मालिक द्वारा 2 इंजन लगाकर पानी तोडऩे का प्रयास किया जा रहा है। उधर मंदिर कल्याण राय के कुंड का शुक्रवार शाम को जलस्तर कम होने के बाद मौखे में आ रही रुकावट को निकाला गया। इसके बाद कुंड का पानी तेजी से बाहर निकलना शुरू हो गया। इससे हर्बल गार्डन में भी पानी का उतार शुरू हो गया।
-औषधीय पौधों के लिए मशहूर है हर्बल गार्डन
पर्यावरण को बढ़ावा देने व अच्छी आबोहवा के लिए सरकार ने गोमती सागर तालाब के तट स्थित ठण्डी झिरी को लाखों रुपए खर्च कर हर्बल गार्डन के रूप में विकसित किया है। इसमें लगे वनस्पति व औषधीय पौधे एवं केवड़ा की दूर-दूर तक ख्याति होने से लोग इसे देखने व वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थी इसके अध्ययन व शोध के लिए आते हैं। हर्बल गार्डन के एक तिहाई भाग में केवड़े, आम, जामुन, गुलहर व कदम के पेड़ लगे हैं। 3.5 हैक्टेयर क्षेत्रफल में फैले हर्बल गार्डन में 300 प्रजातियों के वनस्पति व औषधीय पौधे लगाए हंै। इनके अलावा यहां पर विभिन्न प्रजातियों की पौध तैयार करने के संसाधन व उपकरण मौजूद हैं। इसमें लगे औषधीय पौधों से कई बीमारियों का उपचार होने से अब यहांं कई राज्यों से जानकार आने लगे हैं।
-दो शताब्दी पुराने लगे पेड़
द्वारिकाधीश मन्दिर की स्थापना के समय वर्ष 1806 में धार्मिक महत्व के लिए अण्डमान निकोबार द्वीप से केवड़ा यहां लाया गया था। गौमती सागर तालाब के किनारे अनुकुल जलवायु के कारण यह पौधे यहां वर्षों से सुरक्षित हैं और घने फैले हैं।
-औषधी के रूप में उपयोग
केवड़े का उपयोग कई असाध्य रोगों के उपचार में होता है। इसे स्वास्थ्य वर्धक, दुर्गन्ध निवारक, सुस्ती रोधक व शरीर को ठण्डक देने वाली औषधी माना जाता है। केवड़े के उपयोग से शरीर में आंतरिक जलन, मूत्र संक्रमण, सर्दी, खांसी, मसूड़ों से खून आने व त्वचा की बीमारियों के उपचार में उपर्युक्त माना जाता है। इसका इत्र भी तैयार किया जाता है।
-हमनें नगर पालिका को लिखा है, और जिस आदमी ने पानी रोका था,उसके खिलाफ एफआईआर कर दी है, उससे ही पानी निकलवा रहे हैं। अब पानी कम हो गया है। कल और मौके पर जाकर देखेंगे कितना पानी रह गया है। जटी-बूटियों को खराब नहीं होने दिया लाएगा।
नन्दलाल प्रजापति, उपवन संरक्षक, झालावाड़
-नगरपालिका प्रशासन से सड़क खुदवाकर रूके हुए मौखे से पानी निकलवाने का प्रयास जारी है।
मोहनलाल प्रतिहार, एसडीएम

-औषधीय पौधों व वनस्पति के लिए देश के कई प्रांतों से विद्यार्थी रिसर्च के लिए इस गार्डन में आते हंै। जिसमें आई प्राकृतिक आपदा को लेकर प्रशासन ने सरकारी स्तर पर इसे बचाने के लिए कोई मदद नहीं की।
रामभाई अध्यक्ष, झालरापाटन विकास मंच
-हर्बल गार्डन में हुए नुकसान को प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया। सरकारी स्तर पर भी संसाधन लगाकर इसे बचाने के प्रयास किए जाने चाहिए थे।
रूप सिंह राठौड़, वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य जिला कांग्रेस
-हर्बल गार्डन में इससे पूर्व भी ऐसे हालात बन चुके हैं, लेकिन विभाग व इसके लिए बनी हुई समिति द्वारा उचित देखभाल नहीं किए जाने से हो रहे नुकसान की जिम्मेदारी निजी पक्ष पर डाली जा रही है, जो कतई उचित नहीं है।
महेश बटवानी, अध्यक्ष, भाजपा मंडल झालरापाटन
-सरकार व जिला प्रशासन को समय समय पर इस गार्डन की सुरक्षा व संरकषण को लेकर समीक्षा करना चाहिए, इसके लिए बनी समिति जिला मुख्यालय पर बैठक करके निर्णय कर लेती है, जबकि इसका भौतिक सत्यापन नियमित होना चाहिए, जिससे इस प्रकार के हालात नहीं बनें।
निर्मल कुमार सकलेचा, पूर्व विधायक
-हर्बल गार्डन में जगह-जगह टूट-फूट हो रही है। दर्शकों से इसे देखने के लिए शुल्क लिए जाने के बावजूद रखरखाव नहीं हो रहा है। इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की बनती है। इसकी समिति में स्थानीय लोगों की भी भागीदारी होना चाहिए।
मुकेश चेलावत, भाजपा वरिष्ठ नेता

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