कर्ज माफी की बात पर दिया है वोट
नई सरकार से किसानों को उम्मीदें
नई सरकार से किसानों को उम्मीदें
झालरापाटन. विधानसभा चुनाव परिणाम आने के साथ ही नई सरकार से किसान कई उम्मीद लगाए बैठे हैं। गुरुवार को पत्रिका ने हरिश्चंद्र कृषि उपज मंडी में सोयाबीन, उड़द, मक्का लेकर पहुंचे किसानों से चुनाव परिणाम पर बाद चर्चा की तो किसानों ने विचार बताए। किसी ने कर्ज माफी की बात पर वोट देने की बात कहीं, तो कोई यह कहता नजर आया अब क्या होगा कई किसानों का कहना था कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए, बस उपज का लागत के हिसाब से वाजिब दाम मिल जाए।
तहसील के गांव बाली के किसान श्यामलाल गुर्जर, सुखदेव गुर्जर, पालखंदा के विजय सिंह, रोशन सिंह और रामगढ़ के रामनारायण गुर्जर का कहना है कि अधिकांश किसानों ने तो वोट इसीलिए दिया कि उनका कर्ज माफ हो, इस कारण एक प्रतिशत वोट बढ़ा है। इनमें से कुछ का कहना था कि सरकार कर्जा माफ कैसे कर देगी। अगर इसी सरकार ने एक बार कर्जा माफ भी कर दिया तो पुराने दिनों जैसी हालत नहीं हो जाएं। कर्जा माफ तो करा लेंगे लेकिन बदा में क्या होगा, फिर बिजली के लिए परेशान न होना पड़े। इस साल गेहंू की फसल भी बंपर होने वाली है। प्रशासन गेहंू खरीदेगा की नहीं, कितने रुपए देंगे, बात वहीं हो जाएगी, ढाक के तीन पात जैसी।
—अगर कर्ज माफी नहीं हुई तो नेता गंाव में जा भी नहीं पाएंगे
उधर गंाव कमलपुरा के किसान बालचंद लोधा, रामप्रसाद लोधा, बड़बड़ के राजेश मेरोठा, प्रमोद शर्मा, हेमराज का कहना था कि अगर कर्ज माफी नहीं हुई तो नेता गंाव में जा भी नहीं पाएंगे। कुछ ही समय बाद लोकसभा के चुनाव आ रहे हैं, फिर सरकार बदल देंगे। नेता कहते हैं कि १० दिन में कर्ज माफ हो जाएगा। अब खाना खाने के बाद कहते हैं कि अच्छा नहीं है तो खाना पहले ही नहीं खाना था, सरकार कैसी भी बैठे योजनाओं का लाभ तो मिलना चाहिए। पहले भी अच्छी सरकार थी जो जनम से लेकर मरण तक रुपए दे रही थी और काई जीव लो… ऐसी सरकार को किसान ने सरकार से कोई नाराजगी नी माल रो भाव चाइजे।
–किसान को सिर्फ लागत मिल जाए
किसान को लागत मिल जाए तो कोई योजना की जरूरत नहीं। कर्मचारियों का भत्ता बढ़ रहा है, लेकिन किसान की उपज के भाव घट रहे हैं। किसानों ने कोल्ड स्टोरेज को भी चालू कराने की बात कहीं, उनका कहना था कि मंडी परिसर में करोड़ों रुपए से बना कोल्ड स्टोरेज धूल खा रहा है। सरकार ने खर्चा तो कर दिया, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो रहा है।
–अलग से बने संतरा मंडी
किसानों ने अलग से संतरा मंडी बनाने की बात भी कहीं। किसानों ने यूरिया कंपनियों के बेग का वजन कम करने और खाद के दाम वहीं वसूलने पर भी रोष जताते हुए कहा कि खाद बीज डीजलसब महंगा हो रिया है। इंकी तरफ कोई को ध्यान कोनी किसान मरतो ही जा रहयो है।