बाल विवाह के हैं दुष्परिणाम आमतौर पर रूढ़िवादी परंपराओं के कारण समाज के कुछ लोग विवाह योग्य पुत्र-पुत्रियों का विवाह अक्षय तृतीय जैसे पर्व पर कर देते हैं। 18 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व होने के कारण कई सामाजिक, धर्मार्थ न्यास, समाजसेवी बड़े स्तर पर सार्वजनिक विवाह समारोह व कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी नंदलाल ने ऐसे आयोजकों से कहा है कि इस सामाजिक पर्व पर किसी प्रकार का बाल विवाह न होने दें और न ही बाल विवाह जैसी कुरीति में शामिल हों। बाल विवाह के दुष्परिणाम हमेशा सामने आए हैं, जिनमें शिशु व मातृ मृत्यु दर में वृद्धि होना पाया जाता है।
ये है सजा का प्रावधान जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि बाल विवाह कानून अपराध है। 21 वर्ष से कम का लड़का और 18 वर्ष से कम की लड़की होने पर बाल विवाह अधिनियम 2006 के अंतर्गत पंद्रह दिन का साधारण कारावास व 1000 रुपए का अर्थदण्ड लगाया जाता है या फिर दोनों सजाएं हो सकती हैं। साथ ही पॉक्सो ऐक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया जा सकता है। यदि लड़के की उम्र 21 वर्ष से अधिक हो और वह 18 वर्ष की आयु से कम की लडक़ी से शादी करता है तो उसे तीन माह की कैद व अर्थदण्ड की सजा हो सकती है। ऐसे विवाह को कराने वाले अभिभावक व आयोजकों को भी सजा का प्रावधान है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन महिलाएवं बाल कल्याण विभाग जनपद में बाल विवाह की रोकथाम के लिए युद्धस्तर पर अभियान चलाएगा। यदि किसी भी व्यक्ति को बाल विवाह संबंधी जानकारी हो तो वह निकट के थाने में, 181 महिला हेल्प लाइन, 100 नंबर, 1098 चाइल्ड हेल्प लाइन एवं बाल संरक्षण अधिकारी अभिषेक मिश्रा के मोबाइल नंबर 9453666106 पर सूचना दे सकता है।