‘मनुष्य के दुख का कारण है आसक्ति, गैरों के बजाय अपनों से मिलता है अधिक दुख’
‘मनुष्य के दुख का कारण है आसक्ति, गैरों के बजाय अपनों से मिलता है अधिक दुख’
‘मनुष्य के दुख का कारण है आसक्ति, गैरों के बजाय अपनों से मिलता है अधिक दुख’
झांसी। जैन आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि संसारी वस्तुओं से जीव की आसक्ति ही उसके दुख का प्रमुख कारण है। दुख से सुख का भ्रम ज्यादा खतरनाक है। मनुष्य ने दुख में ही सुख पाने का भ्रम पाल लिया है और बार-बार धोखा खाये जा रहा है। जिस प्रकार दुश्मनी में मित्रता का भाव एवं अज्ञानता में ज्ञान का भ्रम खतरनाक है। गैरों की अपेक्षा अपनों से अधिक दुख मिलता है। अतः क्रोध के कंकड, मान की धूल, तप से मन को एकाग्र कर, विकारों को त्याग कर, संयमित होकर, सत्य की छैनी लेकर अकिंचन रूपी आत्मा को उकेरना शुरू करो तो तुम्हें जिन प्रभु से लेकर निज प्रभु अर्थात् आत्म चेतन के दर्शन सुलभ एवं संभव हो जायेंगे। वह यहां करगुवां जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं।
जो ताकत 32 दांतों में नहीं, वह एक जीव में है
इस अवसर पर आर्यिका माता ने कहा कि जो ताकत एक जीभ में है वह 32 दांतों में नहीं है। जो ताकत एक आत्मा में है, वह बाहर की तमाम जड़ वस्तुओं में नहीं है। उन्होंने कहा कि जिंदगी के मण्डप में हर खुशी कुंवारी है किससे मांगने जायें यहां हर कोई भिखारी है। मनुष्य की इच्छायें अनन्त हैं जिन्हें पूरी करते-करते जिन्दगी का ही अन्त हो जाता है, लेकिन इच्छाओं का अन्त नहीं होता है। जीव स्वयं मोह माया से ढका है इसलिये वह रत्नत्रय धर्म प्रकट नहीं कर पाता है। वह किंचित है फिर भी चिंतित है। मेरा का घेरा इतना बड़ा है कि वह मोह का बोझ लेकर मुक्ति के पथ पर आगे नहीं बढ़ पाता है।
पर पदार्थों से आसक्ति का त्याग करो
इस अवसर पर आर्यिका पूर्णमति माता ने कहा कि पर पदार्थों से आसक्ति का त्याग करो। यदि पर पदार्थों में आसक्ति होगी तो विकल्पों में घिरे रहोगे। जब तक परिग्रह है तब तक अकिंचन धर्म प्रकट नहीं हो सकता है। इसे प्रकट करने के लिये खुद को पुरूषार्थ करना होगा। संसारी जीव के तीन प्रमुख संबंध बताते हुये उन्होंने कहा कि सांसारिक संबंध, सम्पादित संबंध, एवं शाश्वत संबंध यह तीन प्रकार के संबंध जीव के हैं किन्तु सांसारिक व सम्पादित संबंधों को निभाने में ही उसका सम्पूर्ण समय बीत जाता है और वह शाश्वत संबंध को समझ ही नहीं पाता है।
ये लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर राजीव जैन, अरूण जैन, कुलदीप जैन सिर्स परिवार ने आचार्य विद्यासागर के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्जवलित कर धर्मसभा का शुभारम्भ कराया। इस अवसर पर श्रीमती राखी संजय जैन, अरविंद सिंघई, संजय मोदी, पंकज नायक आदि त्रिमूर्ति जैन मंदिर खिमलासा कमेटी के पदाधिकारियों ने आर्यिका पूर्णमति माता को शास्त्र भेंट किया। इस मौके पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं गौरव अध्यक्ष प्रदीप जैन आदित्य, प्रवीण कुमार जैन, संजय जैन कर्नल, अशोक रतनसेल्स, आलोक जैन, वरूण जैन, कमल जैन आदि मौजूद रहे। संचालन् ब्रह्मचारी आशीष भैया ने किया। बाद में आभार सुभाष सत्यराज ने व्यक्त किया।
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