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झांसी

स्टूडेंट्स की प्रतिभा निखारने को यूनिवर्सिटी का एक अभिनव प्रयोग!

डा. तिवारी ने कार्यशाला के दौरान सभी प्रतिभागियों को हर सम्भव मदद का आश्वासन भी दिया…

झांसीJul 31, 2018 / 09:24 am

नितिन श्रीवास्तव

Bundelkhand University workshop for students Jhansi news

स्टूडेंट्स की प्रतिभा निखारने को यूनिवर्सिटी का एक अभिनव प्रयोग!

झांसी. स्टूडेंट्स की प्रतिभा निखारने को बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी द्वारा एक अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। इसके तहत छह दिवसीय एक कार्यशाला का आयोजन शुरू किया गया है। इस मौके पर यूनिवर्सिटी के प्रो. वी के सहगल ने कहा कि विश्वविद्यालय में पठन पाठन के अतिरिक्त सांस्कृतिक तथा खेल प्रतियेागिताओं का भी निरन्तर आयोजन किया जाना चाहिये। इससे छात्र-छात्राओं के सर्वागींण विकास हो सकेगा। कार्यशाला का आयोजन यहां बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के गांधी सभागार में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के तत्वावधान में किया जा रहा है।
विविधतापूर्ण माहौल की जरूरत

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव चंद्रपाल तिवारी ने कहा प्रत्येक छात्र की रूचि, योग्यता एवं ग्रहण करने की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है। यह हमारा उत्तरदायित्व है कि विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले प्रत्येक छात्र-छात्रा को उसकी रूचि के अनुसार अध्ययन तथा पाठ्य सहगामी कार्य प्राप्त हो सके। अपनी रूचि एवं येाग्यता के अनुसार शिक्षा प्राप्त करने पर छात्र-छात्रा का चतुर्मुखी विकास हो सकेगा। कुलसचिव तिवारी ने कहा कि इस के लिए विविधतापूर्ण माहौल तैयार करने की आवश्यकता है, ताकि विश्वविद्यालय के छात्र हर क्षेत्र में अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर सकें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन निरन्तर एक समयावधि के बाद होते रहने चाहिये।
कार्यशाला कराने का मकसद

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक समन्वक डा.रेखा लगरखा ने कार्यशाला आरंभ-2018 के प्रतिभागियों तथा प्रशिक्षकों का स्वागत करते हुए कहा कि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की साहित्यिक, सांस्कृतिक टीम निरंतर क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय युवा महोत्सवों में शीर्ष मुकाबले तक तो पहुंच जाती है परन्तु अन्तिम परिणाम हमारे पक्ष में नहीं आ पाता है। इसलिए विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ ने इस कार्यशाला का आयोजन किया ताकि विश्वविद्यालय के प्रतिभागी छात्र-छात्राएं आगामी युवा महोत्सवों में अपना तथा विश्वविद्यालय का परचम लहरा सकें। सहायक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डा.मुन्ना तिवारी ने कहा कि कला चेतना दो प्रकार की होती है। पश्चिमी कला चेतना अनुकरण की है। इसमें सभी उपकरण उपलब्ध होते हैं, तभी कलाकार अभिनय कर सकता है। जबकि भारतीय कला चेतना अनुकृतम की है। इसके अंतर्गत एक कलाकार मात्र अपने हाव भाव द्वारा ही संपूर्ण दृश्य का मंचन कर सकता है। डा. तिवारी ने कार्यशाला के दौरान सभी प्रतिभागियों को हर सम्भव मदद का आश्वासन भी दिया।

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