विटामिन ए की कमी को दूर करने का है लक्ष्य बैठक में बताया गया कि बाल स्वास्थ्य पोषण सत्र में मुख्य रूप से विटामिन-ए की कमी को दूर करने का लक्ष्य रखा गया है। पोलियो के बाद अब विटामिन-ए की खुराक पर ज्यादा
ध्यान दिया जा रहा है। विटामिन-ए वसा में एक घुलनशील विटामिन है, जो शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। प्रदेश में 60 प्रतिशत बच्चों में विटामिन-ए की कमी होने का खतरा होता है, जो कि बच्चों में बीमारी एवं मृत्यु-दर की संभावनाओं को बढ़ाता है। 9 माह से 5 वर्ष के बच्चों को एक वर्ष में 2 बार विटामिन-ए की खुराक देनी चाहिए। 9 माह से 12 माह के बच्चों को 1 एमएल और 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के बच्चों को 2 एमएल।
ये चीजें हैं जरूरी बैठक में झांसी के उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी (टीकाकरण) डा ए. के. त्रिपाठी ने बताया कि विटामिन ए, टीकाकरण, स्तनपान और आयोडीन की पर्याप्त मात्रा बच्चों के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं। स्तनपान को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए डा. त्रिपाठी ने कहा ‘बच्चे के जन्म के बाद ६ माह तक मां का दूध ही पिलायें। यदि बच्चा बीमार पड़ता है तो उस सूरत में ही दवाई या फिर वैक्सीन का प्रयोग करें। इसके अलावा 6 माह तक बच्चों को कुछ नहीं देना चाहिए। बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी व उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी के साथ ही सीडीपीओ, एमओआईसी, डाक्टर्स, अर्बन हेल्थ कोऑर्डिनेटर आदि शामिल हुए।