बुंदेलखंड में लोकसभा की चार सीटें
बुंदेलखंड में लोकसभा की चार सीटें हैं। इन चारों सीटों पर पिछली बार भाजपा का कब्जा था। इसमें झांसी-ललितपुर सीट से उमा भारती, बांदा से भैरों प्रसाद मिश्र, हमीरपुर से पुष्पेंद्र सिंह चंदेल और जालौन सीट से भानुप्रताप वर्मा सांसद चुने गए थे। इस बार भाजपा के सामने बुंदेलखंड में अपना पिछला चुनावी प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है।
अब तक ये बदल चुके हैं अपने झंडों के रंग
बुंदेलखंड के लिए 2019 का चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने वाला है। झांसी-ललितपुर सीट पर चुनावी इतिहास के 77 साल में पहली बार कांग्रेस का कोई उम्मीदवार नहीं होगा। यह सीट कांग्रेस ने अपने सहयोगी दल जन अधिकार पार्टी के लिए छोड़ दी है। झांसी सीट से भाजपा की उमा भारती द्वारा चुनाव लड़ने से इंकार किए जाने के बाद उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी है। इसलिए इस सीट पर नए उम्मीदवार की तलाश है। ऐसे में अचानक ही उभरे गंगाचरण राजपूत के नाम ने भाजपाइयों में हलचल तेज कर दी है। गौरतलब है कि गंगाचरण राजपूत पहले जनता दल से हमीरपुर से सांसद रह चुके हैं। उसके बाद वह कांग्रेस में गए और अभी भाजपा में हैं।
उधर, बांदा लोकसभा सीट पर सबसे बड़ी उठापटक हुई है। पिछली बार इलाहाबाद से भाजपा के टिकट पर चुने गए बीड़ी उद्योगपति श्यामाचरण गुप्त इस बार बांदा से सपा की साइकिल की सवारी कर रहे हैं। वहीं, पिछली बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले बालकुमार इस बार कांग्रेस के हाथ के पंजे के सहारे चुनावी नैया पार लगाने उतरे हैं।
इसके अलावा हमीरपुर सीट पर हालात बदले हैं। पिछली बार भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल सांसद चुने गए थे। इस बार वहां पर 2004 में सपा से सांसद और 2012 में बसपा से महोबा से विधायक रहे राजनारायण बुधौलिया ने चुनाव के ऐन मौके पर कमल थामकर टिकट के लिए अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर दी है।
इसके अलावा जालौन सीट से पहले बसपा से सांसद और राज्यसभा सदस्य रहे बृजलाल खाबरी इस बार कांग्रेस का हाथ थामकर इसी सीट से अपनी किस्मत आजमाने चुनाव मैदान में उतरे हैं। गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में भी वह ललितपुर जिले की महरौनी सीट से भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।