चार ‘डी’ पर किया गया है फोकस
डीईआईसी के जनरल मैनेजर डा॰ हरिओम दीक्षित इसका निरीक्षण करने के लिए आए। इस दौरान उन्होंने बताया कि यह विभाग उन बच्चों के लिए बहुत सहायक होगा, जिनमें शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाया है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जिन चार डी पर फोकस किया जाता है जिनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी, डिसीज, डवलपमेंट डिलेज इन्क्लूडिंग डिसएबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता है। यूं तो बच्चों को चिकित्सकीय मदद तो स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए मिल ही रही थी, लेकिन इस विभाग में मुख्य रूप से विकास की उस अवस्था पर बच्चों की मदद की जाएगी जिसकी वजह से वह अपना जीवन सरलता पूर्वक नहीं जी पा रहे हैं।
झांसी को मिलाकर खुलने जा रहे हैं 10 नए विभाग
डा.दीक्षित ने आगे बताया कि जो भी आरबीएसके की टीम बच्चों की जांच करके उनमें यही 4 डी की पहचान करती है। वह सर्वप्रथम ऐसे बच्चों को डीईआईसी विभाग में भेजेगी। फिर डीईआईसी विभाग उनकी जांच करके तय करेंगे कि उन्हें किस तरह की मदद की जरूरत है। डा॰ दीक्षित ने बताया कि अभी प्रदेश में कुल 3 डीईआईसी विभाग चल रहे है और झांसी जनपद को मिलाकर कुल 10 और नए डीईआईसी विभाग खुलने है।
इन बच्चों को दी जाती है मदद
डीईआईसी के झांसी के मैनेजर डा॰ रामबाबू बताते हैं कि आरबीएसके 0 से 19 वर्ष तक के बच्चों को चिकित्सकीय मदद उपलब्ध कराता है। उनमें ऐसे बच्चे बहुत होते हैं जिनका जन्म समय से पहले हो गया तो उनका शरीर पूर्णरूप से विकसित नहीं हो पाया और वह किसी प्रकार के विकार या विकलांगता के शिकार हो गए हैं। ऐसे बच्चों को चिकित्सीय मदद के साथ फिजियोथैरेपी की भी आवश्यकता होती है। इसीलिए इस विभाग में बाल रोग विशेषज्ञ, मेडिकल ऑफिसर, दांत का डाक्टर, फिजियोथैरेपिस्ट, स्पीच थैरेपिस्ट, मनोवैज्ञानिक, आंखों का डाक्टर, दिल का डाक्टर आदि लोग नियुक्त किए जाएंगे।
क्या है डीईआईसी- डीईआईसी कोई टीकाकरण नहीं है, न ही कोई दवा है। यह बच्चों की क्षमता को बढ़ाने के लिए एक साथ काम करने वाले चिकित्सकों का एक समूह है।