पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर झांसी-उनाव बालाजी मार्ग पर करीब सात किलोमीटर आगे स्थित लगभग 1.10 किलोमीटर लंबे भरारी संपर्क मार्ग को चुना गया। इसके निर्माण में कोलतार की जगह सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया। अभियंता लाखन सिंह पाल के मुताबिक सड़क निर्माण में इस्तेमाल से पहले सिंगल यूज प्लास्टिक को क्रशर मशीन के जरिए बारीक कुतरा जाता है। इसके बाद उच्च दबाव की मशीनों के माध्यम से इसे कंप्रेस किया जाता है। इसके बाद यह कोलतार की तरह इस्तेमाल में लाई जाती है। गिट्टी बिछाने के बाद कोलतार की जगह करीब 20 एमएम मोटाई की ऊपरी सतह पर इसे बिछाया गया है हालांकि इसके इस्तेमाल से लागत में बहुत अधिक अंतर नहीं आया है। अभियंताओं का कहना है कोलतार एवं सिंगल यूज प्लास्टिक को इस्तेमाल लायक बनाने में लागत तकरीबन एक ही आती है। अवर अभियंता लाखन सिंह के मुताबिक निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सड़क इस्तेमाल के लिए खोल दी गई है।
सिंगल यूज प्लास्टिक टिकाऊ
पीडब्ल्यूडी अभियंताओं का कहना है कोलतार के मुकाबले सिंगल यूज प्लास्टिक को टिकाऊ समझा जाता है लेकिन अब इसका परीक्षण किया जा रहा। अभियंताओं का कहना है कंप्रेस होने के बाद प्लास्टिक का व्यवहार कोलतार की तरह होता है लेकिन उसकी यह क्षमता कितने दिनों तक बनी रहती है यह अभी साफ नहीं है। अगर यह क्षमता कोलतार की तरह रही तब यह सफल हो सकती है। वहीं, पानी का प्रभाव न पड़ने की वजह से भी यह सफल साबित हो सकती है।