प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए कृषि की बहुत बड़ी भूमिका की है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए झांसी का यह कृषि विश्वविद्यालय पूरी ताकत लगा देगा। उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़ी शिक्षा को, उसकी प्रैक्टिकल एप्लीकेशन को स्कूल स्तर पर ले जाना भी आवश्यक है। हमारी सरकार का प्रयास है कि गांव के स्तर पर मिडिल स्कूल लेवल पर ही कृषि के विषय को लागू किया जाए। इससे गांव के बच्चों में खेती से जुड़ी स्वभाविक समझ का विस्तार होगा और खेती और इससे जुड़ी तकनीक, व्यापार-कारोबार के बारे में अपने परिवार को ज्यादा जानकारी दे पाएगा।
उन्होंने कहाकि कृषि में आत्मनिर्भरता सिर्फ खाद्यान्न तक ही सीमित नहीं है। बल्कि ये गांव की पूरी अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता की बात है। यह देश में खेती से पैदा होने वाले उत्पादों में वैल्यू एडिशन करके देश और दुनिया के बाजारों में पहुंचाने का मिशन है। उन्होंने कहा कि कृषि में स्टार्ट अप के नये-नये रास्ते खुल रहे हैं। अब तो बीज से लेकर बाजार भी तकनीक पर आधारित हैं। कृषि क्षेत्र में भी अब तकनीक के प्रयोग से फसल में इजाफा होने से किसान भी पहले से बेहतर की स्थिति में हैं।
50 हजार लोग ऑनलाइन हुए थे शामिल
प्रधानमंत्री ने कहा कि छह वर्ष पहले जहां देश में सिर्फ एक केंद्रीय कृषि विश्विद्यालय था, आज तीन केंद्रीय एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज काम कर रही हैं। इसके अलावा तीन और राष्ट्रीय संस्थान आइएआरए झारखंड, आइएआरए असोम तथा बिहार के मोतीहारी में महात्मा गांधी इंट्रीग्रेटेड फार्मिंग की स्थापना की जा रही है। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद रहे। इस दौरान देशभर के आईसीएआर के सभी 101 संस्थान, 75 कृषि विश्वविद्यालय, 721 कृषि विज्ञान केंद्र से लगभग 50 हजार लोग कार्यक्रम में ऑनलाइन शामिल थे।
वर्ष 2014-15 में शुरू हुआ था पहला शैक्षणिक सत्र
रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में करीब 127 करोड़ की लागत से शैक्षणिक भवन बनाए गए हैं, जबकि 29 करोड़ की लागत से प्रशासनिक भवन और 16 करोड़ की लागत से 2 छात्रावास बनकर तैयार हुए हैं। वर्ष 2014-15 में रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने अपना पहला शैक्षणिक सत्र शुरू किया। यहां कृषि, बागवानी और वानिकी में स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों पाठ्यक्रमों की पेशकश की जा रही है। अभी तक यह विश्वविद्यालय झांसी में ‘इंडियन ग्रासलैंड एंड फोड्डर रिसर्च इंस्टीट्यूट, के परिसर में चल रहा था।