कांग्रेस सबसे ज्यादा चुनाव जीती उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा से कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा का दबदबा रहा है। झांसी लोकसभा क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा। यहां अब तक हुए कुल 17 लोकसभा चुनाव में 9 बार कांग्रेस, 6 बार भाजपा और एक-एक बार समाजवादी पार्टी और जनता पार्टी समर्थक भारतीय क्रांति दल प्रत्याशी जीत हासिल कर चुका है। राजनीतिक पंडित इसकी मुख्य वजह यहां के मतदाताओं द्वारा नेताओं की जगह मुख्यधारा से जुड़े दलों के प्रति लगाव होना मानते हैं।
यहां नेताओं से ज्यादा उन दलों को प्रमुखता दी गई है, जो राष्ट्रीय राजनीति में गहरा दखल रखते हैं। नतीजतन, झांसी से चुनाव मैदान में उतर चुके लगभग 3 दर्जन छोटे दलों के प्रत्याशी यहां मुख्य मुकाबले में भी नहीं आ सके। कई मौकों पर तो इन दलों के प्रत्याशियों को निर्दलीय प्रत्याशियों से भी कम वोट मिले। भारतीय जनसंघ जैसे दल को भी यहां जनता ने नकार दिया।
1996 का चुनाव : तिवारी की हार 1996 का चुनाव इस मायने में खास है। कांग्रेस से अलग होकर नारायण दत्त तिवारी और अर्जुन सिंह जैसे बड़े नेताओं ने अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) का गठन किया और नारायण दत्त तिवारी झांसी लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे। वह उप्र और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर रह चुके थे। उनका काफी नाम भी था, लेकिन झांसी की जनता ने उन्हें पूरी तरह से नकार दिया। तिवारी को केवल 68,064 वोट मिले और वह पांचवें नंबर पर रहे। उस चुनाव में भाजपा के राजेंद्र अग्निहोत्री ने जीत हासिल की थी, जबकि समाजवादी पार्टी के हरगोविंद कुशवाहा दूसरे, बसपा के छंगा प्रसाद साहू तीसरे और कांग्रेस के सुजान सिंह बुंदेला चौथे नंबर पर रहे थे।
छोटे दलों की किस्मत किसान मजदूर प्रजा पार्टी, भारतीय लोकदल, रिवोल्यूशन सोशलिस्ट पार्टी, इण्डियन नेशनल कांग्रेस (यूनाइटेड), फारवर्ड ब्लॉक, लोकदल, दूरदर्शी पार्टी, जनता दल, अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस (तिवारी), अपना दल, भारतीय जनतांत्रिक परिषद, भूमिजोतक समूह, अखिल भारतीय किसान मजदूर मोर्चा, राष्ट्रीय स्वराज्य परिषद, अखिल भारतीय मानव सेवा दल, लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी, अजेय भारत पार्टी, शिवसेना, समता समाज पार्टी, राष्ट्रीय समानता दल, इंडियन जस्टिस पार्टी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय सर्वजन पार्टी, अखिल राष्ट्रवादी पार्टी, पीस पार्टी, स्वतंत्र जनता पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, किसान रक्षा पार्टी, महान दल आदि चुनाव मैदान में किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन सफलता नहीं मिली।