20 फीसदी मामलों में ही बन पाती है बात
सास-बहू की अनबन और दहेज सहित अन्य मामलों में अब शिकायतों का ग्राफ बढ़ने लगा है। इस तरह के मामलों में पुलिस की कोशिश रहती है कि राजीनामा हो जाए और बहुएं अपने घर पहुंचें। इसके लिए आवेदनों को परिवार परामर्श केन्द्र में भेजा जा रहा है लेकिन, यहां भी काउंसिलिंग के बाद शिकायतों का निराकरण नहीं हो पा रहा है। महज 20 फीसदी मामलों में ही राजीनामा हो रहा है, जबकि 80 फीसदी मामले एफआईआर से लेकर कोर्ट तक पहुंच रहे हैं। परिवार परामर्श केन्द्र के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 में अगस्त तक विवाहिताओं की शिकायतें तकरीबन 144 तक पहुंच गई है।
हर तबके की महिलाएं हैं त्रस्त
दहेज, मारपीट और प्रताड़ना की सबसे ज्यादा शिकायतें आ रही हैं। पुलिस परामर्श केन्द्र के आंकड़ों पर नजर डाले तो अब तक हुई शिकायतों में सामान्य वर्ग की संख्या 45 फीसदी है, जबकि 55 फीसदी में अनुसूचित जाति, जनजाति की है। इन शिकायतों की काउंसिलिंग में यह सामने आया कि, जो शिकायतें हुई हैं, उनमें सास-बहू के झगड़े भी ज्यादा हैं यानी पढ़ा-लिखा तबका माने जाने वाले सामान्य वर्ग में ही सबसे ज्यादा शिकायतें बढ़ रही हैं।
दो मामले निपटाए गए
रविवार को यहां परिवार परामर्श केन्द्र में छह मामले सामने आए। इनमें से दो मामलों में निस्तारण किया गया, जबकि चार मामलों में लोग केन्द्र में उपस्थित नहीं हुए हैं। इनको अगली तिथि दे दी गई है।
निदान के प्रयास शुरू होते हैं।
परिवार परामर्श केन्द्र की प्रभारी अर्चना सिंह का कहना है कि यहां आने वाली सभी शिकायतों में हमारे द्वारा काउंसिलिंग की जाती है। इसमें दोनों पक्षों को बुलाकर उनकी समस्या जानी जाती है। इसके बाद समस्या के निदान के प्रयास शुरू होते हैं। हम यह नहीं चाहते कि घर-परिवार टूटे, इसलिए दो-तीन बार भी काउंसिलिंग की जाती है।