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देवउठनी पर डॉक्टर की सलाह: बुजुर्गों व बच्चों को शादियों में ले जाने से बचें

डॉक्टर की सलाह-60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को भीड़ में नहीं ले जाएं।- हार्ट, डायबिटीज, कैंसर, गुर्दे, लीवर के मरीज शादी से दूर रहें। -गर्भवती महिलाओं व 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डब्ल्यूएचओ ने भीड़ में नहीं जाने की सलाह दी है।

झुंझुनूNov 23, 2020 / 10:19 pm

Rajesh

देवउठनी पर डॉक्टर की सलाह: बुजुर्गों व बच्चों को शादियों में ले जाने से बचें

देवउठनी पर डॉक्टर की सलाह: बुजुर्गों व बच्चों को शादियों में ले जाने से बचें

झुंझुनूं. वर्ष के सबसे बड़े सावों में शामिल देवउठनी एकादशी पर 25 नवम्बर को जिले में दो हजार से अधिक शादियों के साथ तुलसी विवाह भी होंगे। वर्ष का यह सबसे बड़ा सावा है, लेकिन कोरोना के कारण लोग शादियों में जाने से बच रहे हैं। एक तो शादियों में कुल संख्या सौ करदी है। दूसरा कोरोना फिर तेजी से बढ़ रहा है। इस कारण परिवार के नजदीकी लोग ही शादियों में शामिल होंगे। 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को तो चिकित्सकों ने सलाह दी है कि वे शादियों में जाएं ही नहीं। पंद्रह वर्ष से कम के बच्चों व गर्भवती महिलाओं को भी शादी समारोह में ले जाने से बचें।
कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी और देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी यानी देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा में सो जाते हैं। इसके बाद देव प्रबोधिनी यानी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को क्षीरसागर में चार महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु इस दिन उठते हैं। भगवान के जागने से सृष्टि में तमाम सकारात्मक शक्तियों का संचार होने लगता है।
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यह कार्य करें

देवउठनी एकादशी पर गन्ने का मंडप सजाकर उसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर पूजन किया जाएगा। एकादशी से विवाह समेत सभी मंगल कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी। भगवान विष्णु और लक्ष्मी के साथ तुलसी पूजा करने का भी विधान है।
मिश्रा बताते हैं कि बताया कि इस बार एकादशी पर सिद्धि, महालक्ष्मी और रवियोग बन रहे हैं। इन 3 शुभ योगों से देव प्रबोधिनी एकादशी पर की जानी वाली पूजा का अक्षय फल मिलेगा। कई सालों बाद एकादशी पर ऐसा संयोग बना है। एकादशी तिथि बुधवार को सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय तक रहेगी।

सजेगा गन्नों का मंडप… ऋतु फलों का लगेगा भोग
देवउठनी एकादशी पर घरों और मंदिरों में गन्नों से मंडप सजाकर उसके नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान कर मंत्रों से भगवान विष्णु को जगाएंगे और पूजा-अर्चना करेंगे। पूजा में भाजी सहित सिंघाड़ा, आंवला, बेर, मूली, सीताफल, अमरुद और अन्य ऋतु फल चढाएं जाएंगे।
तुलसी की खासियत
वनस्पति शास्त्रियों के मुताबिक तुलसी नेचुरल एयर प्यूरिफायर है। यह करीब 12 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है। तुलसी का पौधा वायु प्रदूषण को कम करता है। इसमें यूजेनॉल कार्बनिक योगिक होता है जो मच्छर, मक्खी व कीड़े भगाने में मदद करता है।
तुलसी-शालिग्राम विवाह की परंपरा
इस पर्व पर वैष्णव मंदिरों में तुलसी-शालिग्राम विवाह किया जाता है। धर्मग्रंथों के जानकारों का कहना है कि इस परंपरा से सुख और समृद्धि बढ़ती है। देव प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी विवाह से अक्षय पुण्य मिलता है और हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
कन्यादान का पुण्य
जिन घरों में कन्या नहीं है और वो कन्यादान का पुण्य पाना चाहते हैं तो वह तुलसी विवाह कर के प्राप्त कर सकते हैं।

डॉक्टर की सलाह
-60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को भीड़ में नहीं ले जाएं।
– हार्ट, डायबिटीज, कैंसर, गुर्दे, लीवर के मरीज शादी से दूर रहें।
-गर्भवती महिलाओं व 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डब्ल्यूएचओ ने भीड़ में नहीं जाने की सलाह दी है।
-अगर जाना बहुत जरूरी है तो सोशल डिस्टेंस की पालना करें।
-मास्क लगाएं। बार-बार हाथ धोते रहें।
-आयोजक भी सरकारी गाइड लाइन की पालना करें।
-डॉ कैलाश राहड़, फिजिशियन एवं डायबिटीज रोग विशेषज्ञ, बीडीके अस्पताल झुंझुनूं

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