मिश्रा बताते हैं कि बताया कि इस बार एकादशी पर सिद्धि, महालक्ष्मी और रवियोग बन रहे हैं। इन 3 शुभ योगों से देव प्रबोधिनी एकादशी पर की जानी वाली पूजा का अक्षय फल मिलेगा। कई सालों बाद एकादशी पर ऐसा संयोग बना है। एकादशी तिथि बुधवार को सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय तक रहेगी।
सजेगा गन्नों का मंडप… ऋतु फलों का लगेगा भोग
देवउठनी एकादशी पर घरों और मंदिरों में गन्नों से मंडप सजाकर उसके नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान कर मंत्रों से भगवान विष्णु को जगाएंगे और पूजा-अर्चना करेंगे। पूजा में भाजी सहित सिंघाड़ा, आंवला, बेर, मूली, सीताफल, अमरुद और अन्य ऋतु फल चढाएं जाएंगे।
वनस्पति शास्त्रियों के मुताबिक तुलसी नेचुरल एयर प्यूरिफायर है। यह करीब 12 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है। तुलसी का पौधा वायु प्रदूषण को कम करता है। इसमें यूजेनॉल कार्बनिक योगिक होता है जो मच्छर, मक्खी व कीड़े भगाने में मदद करता है।
इस पर्व पर वैष्णव मंदिरों में तुलसी-शालिग्राम विवाह किया जाता है। धर्मग्रंथों के जानकारों का कहना है कि इस परंपरा से सुख और समृद्धि बढ़ती है। देव प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी विवाह से अक्षय पुण्य मिलता है और हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
जिन घरों में कन्या नहीं है और वो कन्यादान का पुण्य पाना चाहते हैं तो वह तुलसी विवाह कर के प्राप्त कर सकते हैं। डॉक्टर की सलाह
-60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को भीड़ में नहीं ले जाएं।
– हार्ट, डायबिटीज, कैंसर, गुर्दे, लीवर के मरीज शादी से दूर रहें।
-गर्भवती महिलाओं व 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को डब्ल्यूएचओ ने भीड़ में नहीं जाने की सलाह दी है।
-अगर जाना बहुत जरूरी है तो सोशल डिस्टेंस की पालना करें।
-मास्क लगाएं। बार-बार हाथ धोते रहें।
-आयोजक भी सरकारी गाइड लाइन की पालना करें।
-डॉ कैलाश राहड़, फिजिशियन एवं डायबिटीज रोग विशेषज्ञ, बीडीके अस्पताल झुंझुनूं