2357 का ऑपरेशन
कार्यक्रम में गत वर्ष प्रदेश में करीब 2357 बच्चों के जटिल ऑपरेशन किए गए। इनमें से 1764 बच्चे कटे-फटे होठ व तालु, कान आदि के अलावा 593 के ह्दय के ऑपरेशन किए गए। जिले में ऐसे बच्चों की संख्या करीब 35 रही।
38 प्रकार की जांच
स्वास्थ्य विभाग की माने तो आंगनबाड़ी, सरकारी स्कूल, मदरसों में जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों में 38 प्रकार की जांचे की जाती है। इसमें बीमारी से ग्रसित पाए जाने पर सरकारी संस्थानों में इलाज के लिए रैफर किया जाता है। जहां पर उनका उपचार किया जाता है, इसमें पीएचसी के बाद सीएचसी, जिला अस्पताल में उपचार किया जाता है। आवश्यकता होने पर मेडिकल कॉलेज व अनुबंधित उच्च संस्थानों में रैफर भी किया जाता है।
यह है योजना
कार्यक्रम से जुड़े डॉ. अनिल ने बताया कि बच्चों में कई तरह की बीमारी होने के बाद भी परिजन आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर इलाज नहीं करवा पाते हैं। जिले में यह कार्यक्रम वर्ष 2015-16 में शुरू किया गया था। जिसमें जन्म से 18 वर्ष तक के छात्रों का किसी भी शारीरिक विकार, बीमारी, कमी व विकलांगता की परेशानी से निजात दिलाना इसका मुख्य उद्देश्य है।
केस एक
बाल सखाओं को खेलता, दौड़ता देखकर उसका भी नन्हा मन मचल उठता था। लेकिन तेजी से चार कदम चलने पर ही उसकी सांस फूल जाती थी।चक्कर आने के साथ शरीर नीला पड़ जाता था। पुत्र की ऐसी स्थिति देखकर परिजनों का भी सुख-चैन छिन गया था। यह स्थिति थी वाहिदपुरा निवासी प्रमोद के चार वर्षीय पुत्र देवांशु की।दिल में छेद होने के कारण देवांशु के जीवन से बचपन की खुशियां दूर जा रही थी।आरबीएसके टीम के सदस्य आंगनबाडी पर जांच के लिए पहुंचे तो परेशानी का पता चला। टीम के सदस्यों ने राजकीय बीडीके अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ से जांच करवाने पर दिल में छेद होने की जानकारी दी। बाद में जयपुर स्थित एक निजी अस्पताल में उसका निशुल्क ऑपरेशन करवाया गया। ऑपरेशन के बाद देवांशु आम बच्चों की तरह खेलता-कूदता है।
केस दो
बोलने व खाने-पीने में होती थी तकलीफ
कटे-फटे होठ व तालु के कारण सुमित को बोलने व खाने-पीने में भी तकलीफ उठानी पड़ती थी। मजदूरी कर घर चलाने वाले पिता के लिए सुमित का किसी अच्छे अस्पताल में इलाज करवाना मुश्किल हो रहा था। आरबीएसके प्रभारी से सम्पर्क किया। इस पर टीम के सदस्यों ने जयपुर के निजी अस्पताल में सफल ऑपरेशन करवाया। ऑपरेशन के बाद में बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ्य है।
इनका कहना है
जिले में सभी ब्लॉकों में टीमों का गठन किया गया है, इसमें बच्चों की जांच कर उपचार करवाया जाता है। आर्थिक रूप से अक्षम परिवारों के बच्चों को फायदा मिल रहा है। इस वित्तिय वर्ष के लिए भी टीमों का गठन कर दिया गया है। -डॉ. दयानंद, आरसीएचओ, झुंझुनूं