साल में एक भी प्रसव नहीं
सूत्रों की माने तो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भोजनगर, अजाड़ी कलां, डाडा फतेहपुरा, दलेलपुरा, किठाना व टोड़पुरा के अलावा सीएचसी इण्डाली में वित्तीय वर्ष 2017-18 में एक भी प्रसव नहीं हो पाया है। इसके अलावा पीएचसी बसावता कला, हीरवा, बुडाना व बई में एक-एक प्रसव हुआ है। हालांकि इसके पीछे ट्रेंड स्टॉफ की कमी व भवन आदि की कमी कारण बताए जा रहे हैं।
निजी क्लिनिकों पर ले जाना मजबूरी
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पीएचसी पर प्रसव की सुविधा नहीं हो पाने के कारण लोग निजी चिकित्सालयों में प्रसव करवाना लोगों की मजबूरी बन गया है। सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं के अभाव में निजी चिकित्सालय प्रसव की एवज में मनमानी रकम वसूल कर रहे हैं।
क्रमोन्नत किया, लेकिन सुविधाएं नहीं
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए कई सब सेन्टरों को पीएचसी में क्रमौन्नत कर दिया, लेकिन सुविधाओं का विस्तार नहीं किया। पीएचसी में विशेषज्ञ चिकित्सकों सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। इसकों लेकर लोगों की ओर से कई बार विरोध प्रदर्शन भी हो चुके है।लेकिन इसके बावजूद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पा रही है।दावे कागजी साबित
सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को प्रसव की सुविधा प्रदान करने के दावे कागजी दिखाई दे रहे हैं। हालत यह है कि जिले में आधा दर्जन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व एक सीएचसी ऐसी है, जिनमें प्रसवों की संख्या शून्य रही है। जो कि चिकित्सा विभाग के बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के दावे पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।
इनका कहना है
पीएचसी में भवन नहीं है, ऐसे में सब सेन्टरों में संचालित होने के कारण पर्याप्त सुविधा की कमी के कारण प्रसव नहीं हो पा रहे हैं।सरकार को भवन निर्माण के लिए पत्र लिखा है।
डॉ. नरोत्तम जांगिड़, कार्यवाहक आरसीएचओ झुंझुनूं