परिजनों को दिया एक और मौका बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक प्रिया चौधरी ने बताया कि मासूम को हमने पहले सीकर के शिशु घर में रखा और फिर झुंझुनूं में। बालिका को गोद देने से पहले सार्वजनिक नोटिस के जरिए आपत्तियां मांगी गई। बड़ी होने पर बच्ची पर कोई दावा नहीं करे, इसके लिए पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाई गई। इसके बाद बालिका को गोद देने के लिए सरकारी वेबसाइट पर इसकी जानकारी दी गई। इसे अमरीका के एक परिवार ने पढ़ा और देखा। बच्ची को देखकर उनका दिल पसीजा। वे बच्ची को लेने सात समंदर दूर झुंझुनूं चले आए।
बच्ची के लिए माहौल बनाया
मासूम बच्ची अमरीका में जाकर अपने आप को असहज महसूस नहीं करे। इसके लिए परिवार के सदस्यों का एलबम, घर, माता-पिता व बच्चों के फोटो खेलने के लिए देते थे। ताकि मासूम को वहां जाने के बाद उसे सब कुछ देखा हुआ लगे। उसे अपनेपन का एहसास हो। इस मासूम को लेने के लिए अंग्रेज परिवार कई बार झुंझुनंू आया। बालिका से मिला और कानूनी प्रक्रिया अपनाई। सहायक निदेशक ने बताया कि बच्ची किसी गलत हाथों में नहीं चली जाए इसके लिए परिवार की पूरी पृष्ठभूमि की जानकार ली। उसके पुलिस रेकॉर्ड, आर्थिक हालत, परिवार के सदस्यों सहित पूरी जानकारी जुटाई गई। उसके बाद बेटी उनको गोद दे दी गई। आगे भी जब तब मासूम बालिग नहीं हो जाएगी अमरीका के इस परिवार को हर छह माह में अमरीका के वहां के स्थानीय कोर्ट व झुंझुनूं में संबंधित अधिकारियों को नियमित जानकारी देनी होगी।
इनका कहना है
मासूम अमरीका के जिस परिवार में गई है उसे गोद लेने वाला पिता अमरीका में बड़ा इंजीनियर है। बेटी आलीशान बंगले में रहती है। उसके लिए झूले, खेलने की तमाम भौतिक सुख सुविधाएं उपलब्ध हैं। हम हर छह माह में रिपोर्ट लेते हैं। वीडियोकॉल के माध्यम से बेटी के हाल जानते हैं। अब वह तीन साल से ज्यादा की हो गई है।
-प्रिया चौधरी, सहायक निदेशक, बाल अधिकारिता विभाग झुंझुनूं
एक नजर मेंं झुंझुनंूं कुल साक्षरता दर 74.1
महिला साक्षरता दर 61.0
पुरूष साक्षरता दर 86.9
लिंगानुपात 950
(वर्ष 2011 की जनणगना के अनुसार)