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झुंझुनू

जानिए शेखावाटी में कहां लगती है 24 कोस की परिक्रमा, क्या है इसका महत्व

पांच दिन की इस यात्रा में श्रद्धालु लोहार्गल में सूर्यकुण्ड में स्नान कर पहाड़ी पर स्थित मालकेत बाबा के दर्शन करेंगे। इसके बाद गोल्याना, चिराना, किरोड़ी, कोट शाकंभरी, नांगकुण्ड, भगोवा, टपकेश्वर महादेव, शोभावती, खाकी अखाड़ा, नीम की घाटी, डाबपनोरा, रघुनाथगढ़, खोरी कुण्ड, गोल्याना से होते हुए चौबीस कोस की परिक्रमा पूर्ण कर वापस लोहार्गल पहुंचेंगे। जिसके बाद 30 अगस्त को अमावस्या के दिन सूर्यकुण्ड में स्नान कर अपने घरों की ओर लौटेंगे।

झुंझुनूAug 20, 2019 / 10:39 pm

Rajesh

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जानिए शेखावाटी में कहां लगती है 24 कोस की परिक्रमा, क्या है इसका महत्व


उदयपुरवाटी(झुंझुनूं). प्रदेश सहित अन्य राज्यों से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की आस्था व श्रद्धा के केन्द्र बाबा मालकेत की चौबीस कोसीय परिक्रमा 25 अगस्त को गोगानवमी से शुरू होगी। लोहार्गल से शुरू होने वाले श्रद्धा के इस सफर की तैयारियां शुरू हो गई है। सबसे आगे बाबा की पालकी होगी। इसके पीछे लाखों श्रद्धालु होंगे।
पांच दिन की इस यात्रा में श्रद्धालु लोहार्गल में सूर्यकुण्ड में स्नान कर पहाड़ी पर स्थित मालकेत बाबा के दर्शन करेंगे। इसके बाद गोल्याना, चिराना, किरोड़ी, कोट शाकंभरी, नांगकुण्ड, भगोवा, टपकेश्वर महादेव, शोभावती, खाकी अखाड़ा, नीम की घाटी, डाबपनोरा, रघुनाथगढ़, खोरी कुण्ड, गोल्याना से होते हुए चौबीस कोस की परिक्रमा पूर्ण कर वापस लोहार्गल पहुंचेंगे। जिसके बाद 30 अगस्त को अमावस्या के दिन सूर्यकुण्ड में स्नान कर अपने घरों की ओर लौटेंगे। अनेक श्रद्धालु यात्रा करने से पहले बाबा मालकेत के दर्शन करते हैं तो अनेक यात्रा पूरी करने के बाद दर्शन करते हैं।
गोगानवमी से शुरू होनी वाली मालकेत बाबा की चौबीस कोसीय परिक्रमा की अगुवाई ठाकुरजी की पालकी करेगी। संत महात्मा ठाकुरजी को पालकी में बैठाकर गोगानवमी को परिक्रमा के लिए निकलेंगे।
ग्राम पंचायतों ने शुरू की तैयारियां
परिक्रमा क्षेत्र में आने वाली लोहार्गल, चिराना, नांगल आदि ग्राम पंचायतों ने परिक्रमा को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। लोहार्गल क्षेत्र की साफ सफाई करवाई जा रही है। सरपंच घासीराम स्वामी ने बताया कि परिक्रमा को लेकर ग्राम पंचायत की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई है। खाकी चौक से सूर्यकुण्ड तक जाने वाले रास्ते पर स्थित दुकानदारों को दुकान के सामने रास्ते में सामान नहीं रखने के लिए पाबंद कर दिया गया है। सूर्यकुण्ड से खाकी चौक तक सफाई व रोशनी व्यवस्था के लिए कर्मचारी जुटे हुए है। चिराना सरपंच प्रियंका सैनी ने बताया कि परिक्रमा के रास्ते की साफ सफाई की जा रही है। परिक्रमा रास्ते में आने वाले बबूल, झांडिय़ों की टहनियों कटाई की जा रही है। क्षतिग्रस्त रास्ते को फिर से दुरस्त करने का काम शुरू कर दिया गया है।
चल शौचालय व रोशनी की मांग
परिक्रमा में आने वाले श्रद्धालु कोट बांध पर रात्रि में विश्राम करते हैं। कोट बांध पर शौचालयों व रोशनी नहीं होने से श्रद्धालुओं को काफी परेशान का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में कोट बांध की पहाड़ी पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर में रहने वाले डॉ. योगी जीवननाथ ने प्रशासन को पत्र के माध्यम से अवगत करवाया है कि कोट बांध पर रोशनी व शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से परिक्रमा में आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। परिक्रमा की अगुवाई करने वाली ठाकुरजी की पालकी के साथ आने वाले सैकड़ों संत महात्मा कोट बांध में विश्राम करते है। बांध पर किसी प्रकार की सुविधा नहीं से काफी परेशानी होती है। उन्होंने कोट बांध पर रोशनी की व्यवस्था, चल शौचालय रखवाने, मेडिकल टीम और पुलिस की सुमिचत व्यवस्था करवाने की मांग की है।
पांच लाख से अधिक श्रद्धालु करते हैं 24 कोसीय परिक्रमा

लोहार्गल की 24 कोसीय परिक्रमा की आस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर वर्ष पांच लाख से अधिक श्रद्धालु पथरीली राह में पैदल परिक्रमा करते हैं। इस बार प्रकृति की मेहरबानी के चलते श्रद्धालुओं की संख्या बढऩे की संभावना जताई जा रही है। श्रद्धालु गोगानवमी को लोहार्गल के सूर्य कुंड से स्नान कर परिक्रमा शुरू करते हैं। दुर्गम घाटियों मे पत्थर जमा कर सदियों पहले बने रास्ते पर 24 कोस 72 किलोमीटर का सफर पूरा कर वापस लोहार्गल पहुंचते हैं।
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कांटों के झुंड से निकलना कठिन

लोहार्गल के परिक्रमा मार्ग का जायजा लेने पर सामने आता है कि चिराना गांव से आगे किरोड़ी की घाटी के दुर्गम मार्ग पर कांटों के बबूल के बीच से अकेला व्यक्ति भी कठिनता से निकल पाता है। किरोड़ी से शाकम्भरी जाने वाले मार्ग की भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। दोनों तरफ कांटेदार बबूल खड़े हैं। उनकी शाखाएं रास्ते तक फैली हुई है। आगे नाग कुंड, भगोवा, शोभावती, नीमड़ी की घाटी, रघुनाथगढ़ नदी में भी प्रशासन की तरफ से अभी तक परिक्रमा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
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रोशनी की भी नहीं है व्यवस्था

परिक्रमा के रास्ते में अभी तक रोशनी की भी व्यवस्था भी नहीं की गई है। सर्वाधिक खराब स्थिति चिराना से किरोड़ी और शाकम्भरी जाने वाले रास्ते की है। परिक्रमा के दौरान अलग से रोशनी की व्यवस्था तो दूर पंचायत व प्रशासन ने स्ट्रीट लाइट की खराब व्यवस्था को भी दुरस्त नहीं किया है।
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हादसों के बाद भी नहीं लिया सबक
परिक्रमा के दौरान हर वर्ष हादसे होत हैं। इसके बाद भी प्रशासन ने अभी तक कोई सबक नहीं लिया है। पिछले वर्ष भी सर्पदंश से एक जने की मौत हो गई थी। वही कोट बांध पर मधुमक्खियों के हमले में लोग घायल हुये थे। वही सीकर के लसाडिया बास के एक युवक की चिराणा किरोडी घाटी मे दिल का दोरा पडने से मौत हो गई थी। दो वर्ष पहले एक औरत की जहरीले जानवर के काटने से मौत हुई थी।

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