गांव के इन्द्र सिंह शेखावत गुढा विधानसभा (वर्तमान में उदयपुरवाटी) क्षेत्र से 1977 में जनता पार्टी से विधायक बने। वे खुद तथा पत्नी जोर कंवर भी प्रधान बनी। गांव के भगवाना राम सैनी भी प्रधान रह चुके। कुंज बिहारी गुप्ता व विवेक गुप्ता आईएएस रहे हैं। मूलचंद लूनिवाल, पूजा गुप्ता, रेखा गुर्जर, कुलदीप सिंह शेखावत व रामअवतार सैनी आरएएस हंै। कुलदीप सिंह शेखावत रिटायर्ड कर्नल हैं। विजेंद्र सिंह शेखावत सहायक कमाडेंट है। वे राष्ट्रपति पदक से सम्मानित हैं। बिशन लाल नायक बीएसएफ में कमाडेंट के पद पर कार्यरत है। उम्मेद सिंह शेखावत प्रज्ञा चक्षु संगीत शिक्षक से सेवनिवृत है। शिक्षक रूड़ सिंह शेखावत, एडवोकेट गोकुल सिंह, महावीर प्रसाद रसगनियां, भीष्म नारायण सिंह शेखावत व विनोद जोशी ने बताया कि गांव में कस्बों से भी अच्छी सुविधा है। गांव के पूर्व में गुड़ा सीमा पर पवन पहाड़ी में बाबा सुन्दर नाथ आश्रम स्थित पश्चिम में प्राचीन तालाब व पहाड़ी पर स्थित मालकेत मंदिर व उत्तर में पहाड़ी पर स्थित खैरी वाले बालाजी का मंदिर स्थित दक्षिण में मालकेत पर्वत शृंखला है। गांव के मध्य भाग में गांव के आराध्य देव नृसिंह, गोपीनाथ मंदिर स्थित है। वहीं प्राचीन मालासी ,श्रीराम,रघुुनाथ,सत्यनाराण,शिव सहित अन्य मंदिर स्थित है।
गांव के ब्रह्मदत मीणा, जीवण सिंह शेखावत, अजय शर्मा, राजेन्द्र टेलर सहित अन्य ने बताया कि यहां पुष्प अधिक होने पर इसको पूर्व में पुष्प नगर के नाम से व बाद में गांव का नाम पौंख रहा। वहीं गांव के कई लोग इसको प्राचीन काल से यहां हो रही बाजरे की उन्नत खेती के कारण पौंख नाम होना बताते हैं।
गांव के पश्चिम दिशा में स्थित वैष्णव संत जयराम दास की बगीची में वैशाख अमावस्या को प्रतिवर्ष मेला लगता है। गांव के पूर्व सरपंच रामानन्द स्वामी, गोकुल सिंह शेखावत,अमित सोनी, विश्वेन्द्र सिंह, मनोहर सिंह शेखावत ने बताया कि गांव के मध्य में स्थित प्राचीन मालासी मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्र व अश्वनी मास के शुक्ल पक्ष के हर रविवार को मेला लगता है।
द्वितीय विश्वयुद्ध में गांव के शिवपाल सिंह शेखावत व गणेश राम गुर्जर शहीद हुए। दशरथ सिंह शेखावत ऑपरेशन विजय में शहीद हुए थे। नत्थू सिंह शेखावत ऑपरेशन पराक्रम में 28 दिसंबर 2003 में शहीद हुए।
समस्या – विलायती बबूल व दूषित पेयजल बड़ी समस्या
पौंख गांव में आधारभूत सभी सुविधाओं के बावजूद विलायती बबूल की अधिकता के कारण पहाड़ों में परंपरागत वृक्षों का विनाश हो रहा है। वहीं गांव के सभी प्राचीन जल स्रोतों के आस -पास अतिक्रमण होने पर ये अपना अस्तित्व खो रहे हैं।
जनसंख्या -8742
घर -1464
साक्षरता दर 70.21 प्रतिशत