कृषि विभाग के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन) के तहत किसानों के लिए दो साल पहले आवारा पशुओं से खेती को बचाने के लिए तारबंदी पर सब्सिडी देने की शुरुआत की थी। इसमें केवल एक किसान के आवेदन करने पर पात्र पाए जाने पर उसे तारबंदी के लिए सब्सिडी का पैसा मिल जाता था। परंतु अब पांच किसानों को समूह में आवेदन करना होता है और इसके लिए इन पांचों के पास कम से कम सौ बीघा जमीन का होना जरूरी है। अगर समूह नहीं बन पाता है या फिर सौबीघा जमीन नहीं है तो ये किसान वंचित रहेंगे। परंतु जिले के अधिकांश स्थानों पर आपसी सामंजस्य का अभाव होने के कारण या फिर एक किसान के पास सिंचाई के लिए कुआं है और चार अन्य के पास नहीं होना समस्या खड़ी करता है। ऐसी स्थिति के चलते किसानों का आवेदन करना ही मुश्किल हो जाता है। इस बार क्षेत्र में दो लाख ६० हजार से अधिक सिंचित क्षेत्र है।
तारबंदी की सब्सिडी लेने के लिए पांच किसानों का समूह होना चाहिए और इन पांचों के पास सौ बीघा जमीन का होना जरूरी है। एक किसान को चार सौमीटर यानि चालीस हजार रुपए मिलेंगे। वहीं, तारबंदी की ऊंचाई पांच फीट होनी चाहिए और हर दस फीट पर चाहे पिलर का निर्माण कराना होगा।
२०१८-१९ में तारबंदी पर सब्सिडी हांसिल करने के लिए १८ आवेदन समूह में आए हैं। एकल किसान के रूप में साल के अंत में नौ लाख ग्यारह हजार रुपए देकर किसानों को फायदा पहुंचाया गया। अब किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है और वरियता के आधार पर इसका फायदा मिलता है।
समूह का गठन होने और सौ बीघा जमीन होने पर ही तारबंदी के लिए मिलनी वाली सब्सिडी के लिए पात्र होंगे। पहले इसमें एकल किसान को आवेदन करने पर चार सौ मीटर तक कम से कम चालीस हजार रुपए देते थे। पेचिदगियां तो हैं पर सरकार ने क्राइट एरिया तय किया है हम कुछ नहीं कर सकते हैं।
डा. विजयपाल कस्वां, सहायक निदेशक कृषि विस्तार (झुंझुनूं)