भाजपा को इन बूथों पर मिले थे ज्यादा वोट
झुंझुनूं विधानसभा के बूथ संख्या १३५ पर भाजपा के राजीवसिंह शेखावत को बढ़त मिली थी। हालांकि ओवरआल चुनाव में कांग्रेस के विधायक बृजेंद्र ओला चुनाव जीत गए।
सूरजगढ़ विधानसभा के बूथ संख्या ६४ पर भाजपा की सांसद संतोष अहलावत को ७९३ वोट मिले थे। इन्होंने कांग्रेस के श्रवणकुमार को हराया था।
खेतड़ी विधानसभा में बूथ संख्या ३५ पर भाजपा के प्रत्याशी दाताराम गुर्जर को ३५५ वोट मिले थे। लेकिन खेतड़ी से बसपा के पूरणमल सैनी ने जीता था।
नवलगढ़ विधानसभा के बूथ संख्या १०१ पर भाजपा के जगदीशप्रसाद सैनी को ४९८ वोट मिले। लेकिन वे चुनाव नहीं जीत सके। नवलगढ़ में चुनाव कांग्रेस के डा. राजकुमार शर्मा जीते।
मंडावा विधानसभा में बूथ संख्या २७ पर भाजपा प्रत्याशी सलीम तंवर को ४५८ वोट मिले थे। परंतु वे विधानसभा से चुनाव हार गए। यहां पर निर्दलीय नरेंद्र खींचड़ ने चुनाव जीत लिया।
झुंझुनूं विधानसभा के बूथ संख्या १३५ पर भाजपा के राजीवसिंह शेखावत को बढ़त मिली थी। हालांकि ओवरआल चुनाव में कांग्रेस के विधायक बृजेंद्र ओला चुनाव जीत गए।
सूरजगढ़ विधानसभा के बूथ संख्या ६४ पर भाजपा की सांसद संतोष अहलावत को ७९३ वोट मिले थे। इन्होंने कांग्रेस के श्रवणकुमार को हराया था।
खेतड़ी विधानसभा में बूथ संख्या ३५ पर भाजपा के प्रत्याशी दाताराम गुर्जर को ३५५ वोट मिले थे। लेकिन खेतड़ी से बसपा के पूरणमल सैनी ने जीता था।
नवलगढ़ विधानसभा के बूथ संख्या १०१ पर भाजपा के जगदीशप्रसाद सैनी को ४९८ वोट मिले। लेकिन वे चुनाव नहीं जीत सके। नवलगढ़ में चुनाव कांग्रेस के डा. राजकुमार शर्मा जीते।
मंडावा विधानसभा में बूथ संख्या २७ पर भाजपा प्रत्याशी सलीम तंवर को ४५८ वोट मिले थे। परंतु वे विधानसभा से चुनाव हार गए। यहां पर निर्दलीय नरेंद्र खींचड़ ने चुनाव जीत लिया।
पिलानी विधानसभा के बूथ संख्या ३७ पर भाजपा के सुंदरलाल को ४९१ वोट मिले थे। इन्होंने कांग्रेस के मदनलाल को पराजित किया था।
उदयपुरवाटी विधानसभा के बूथ संख्या ३८ पर शुभकरण चौधरी को ९४८ वोट हासिल हुए थे। इस विधानसभा से वे चुनाव जीत गए।
उदयपुरवाटी विधानसभा के बूथ संख्या ३८ पर शुभकरण चौधरी को ९४८ वोट हासिल हुए थे। इस विधानसभा से वे चुनाव जीत गए।
कांग्रेस को इन बूथों पर मिली थी बढ़त
झुंझुनूं विधानसभा से बूथ संख्या ३६ पर कांग्रेस से विधायक बृजेंद्र ओला को सबसे ज्यादा वोट ६१५ मिले थे और इन्होंने ही कांग्रेस सीट से यह चुनाव जीता।
सूरजगढ़ विधानसभा के बूथ संख्या १०२ पर कांग्रेस के श्रवणकुमार को ४९३ वोट मिले थे। ये चुनाव हार गए, लेकिन संतोष अहलावत के सांसद बन जाने के कारण यहां पर उप चुनाव हुए। जिसमें श्रवणकुमार ने दिगम्बरसिंह को पराजित किया था।
झुंझुनूं विधानसभा से बूथ संख्या ३६ पर कांग्रेस से विधायक बृजेंद्र ओला को सबसे ज्यादा वोट ६१५ मिले थे और इन्होंने ही कांग्रेस सीट से यह चुनाव जीता।
सूरजगढ़ विधानसभा के बूथ संख्या १०२ पर कांग्रेस के श्रवणकुमार को ४९३ वोट मिले थे। ये चुनाव हार गए, लेकिन संतोष अहलावत के सांसद बन जाने के कारण यहां पर उप चुनाव हुए। जिसमें श्रवणकुमार ने दिगम्बरसिंह को पराजित किया था।
खेतड़ी विधानसभा के बूथ संख्या चार पर पूर्व मंत्री व वर्तमान कांग्रेस जिलाध्यक्ष डा. जितेंद्रसिंह को ५२१ वोट मिले थे। लेकिन यहां पर भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रत्याशियों को पराजित करते यह सीट बसपा की झोली में चली गई।
्रनवलगढ़ विधानसभा के बूथ संख्या १६१ पर कांग्रेस से वर्तमान विधायक डा. राजकुमार शर्मा को सबसे ज्यादा वोट १०१८ मिले थे। इन्होंने नवलगढ़ सीट पर भाजपा के जगदीशप्रसाद सैनी को पराजित किया था।
मंडावा विधानसभा के बूथ संख्या संख्या ६० पर कांग्रेस के डा. चंद्रभान को ५०४ वोट मिले थे। लेकिन आवरआल उनकी जमानत जब्त हो गई थी।
पिलानी विधानसभा के बूथ संख्या ५४ पर कांग्रेस के मदनलाल को ११८ वोट मिले थे। हालांकि उनकी जमानत जब्त हो गई थी।
उदयपुरवाटी विधानसभा के बूथ संख्या ५६ पर कांग्रेस से प्रत्याशी राजेंद्र गुढ़ा को ६२७ वोट मिले थे। लेकिन वे चुनाव हार गए।
मंडावा विधानसभा के बूथ संख्या संख्या ६० पर कांग्रेस के डा. चंद्रभान को ५०४ वोट मिले थे। लेकिन आवरआल उनकी जमानत जब्त हो गई थी।
पिलानी विधानसभा के बूथ संख्या ५४ पर कांग्रेस के मदनलाल को ११८ वोट मिले थे। हालांकि उनकी जमानत जब्त हो गई थी।
उदयपुरवाटी विधानसभा के बूथ संख्या ५६ पर कांग्रेस से प्रत्याशी राजेंद्र गुढ़ा को ६२७ वोट मिले थे। लेकिन वे चुनाव हार गए।
जातिगत समीकरण पड़े थे भारी
जिन भी बूथों पर पार्टियों को जिले में सबसे ज्यादा वोट मिले हैं वहां जातिगत समीकरण या स्थानीय उम्मीदवार हावी रहे हैं। कांग्रेस को सबसे ज्यादा वोट मिलने उनमें झुंझुनूं के कई बूथ शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा बूथ मुस्लिम बाहुल्य बूथ थे। इन बूथों पर आज भी पार्टी मजबूत स्थिती में है। यही हाल भाजपा के हैं। सूरजगढ़ के जिन बूथों पर सबसे ज्यादा वोट मिले वे पूरी तरह से जाट बाहुल्य बूथ थे। इसके अलावा पिलानी में भाजपा से विधायक सुंदरलाल की मजबूत पकड़ बताई जा रही है। वहीं, खेतड़ी में पिछली बार समीकरण बदल गए। गुर्जर बाहुलय क्षेत्र होने के बावजूद यहां से बसपा के पूरणमल सैनी चुनाव जीत गए थे।
अभी भी जोर लगा रहे हैं नेता
जिन बूथों पर पार्टियां हमेशा से मजबूत रही हैं वहां अभी भी दोनों पार्टियों के नेता जोर लगा रहे हैं। जिन बूथों पर एक ही पार्टी को इकतरफा वोट मिले हैं उन्हें पार्टी के नेता अपना गढ़ मान रहे हैं। कांग्रेस ने जहां मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम चला रखा है, तो भाजपा ने यूथ चला बूथ के माध्यम से बूथ पर जोर लगाना जारी रखा है।
जिन भी बूथों पर पार्टियों को जिले में सबसे ज्यादा वोट मिले हैं वहां जातिगत समीकरण या स्थानीय उम्मीदवार हावी रहे हैं। कांग्रेस को सबसे ज्यादा वोट मिलने उनमें झुंझुनूं के कई बूथ शामिल हैं। इनमें सबसे ज्यादा बूथ मुस्लिम बाहुल्य बूथ थे। इन बूथों पर आज भी पार्टी मजबूत स्थिती में है। यही हाल भाजपा के हैं। सूरजगढ़ के जिन बूथों पर सबसे ज्यादा वोट मिले वे पूरी तरह से जाट बाहुल्य बूथ थे। इसके अलावा पिलानी में भाजपा से विधायक सुंदरलाल की मजबूत पकड़ बताई जा रही है। वहीं, खेतड़ी में पिछली बार समीकरण बदल गए। गुर्जर बाहुलय क्षेत्र होने के बावजूद यहां से बसपा के पूरणमल सैनी चुनाव जीत गए थे।
अभी भी जोर लगा रहे हैं नेता
जिन बूथों पर पार्टियां हमेशा से मजबूत रही हैं वहां अभी भी दोनों पार्टियों के नेता जोर लगा रहे हैं। जिन बूथों पर एक ही पार्टी को इकतरफा वोट मिले हैं उन्हें पार्टी के नेता अपना गढ़ मान रहे हैं। कांग्रेस ने जहां मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम चला रखा है, तो भाजपा ने यूथ चला बूथ के माध्यम से बूथ पर जोर लगाना जारी रखा है।
आज प्रदेश में आम मतदाता का रुझान कांग्रेस की ओर है। कांग्रेस जिले की सभी सातों विधानसभा सीटों पर अपनी जीत हासिल करेगी। इसके लिए सातो विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक बूथ के लिए १५-१५ लोगों की कमेटी बनाई गई। इसके अतिरिक्त प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख कांग्रेस कार्यकर्ताओ का जनसम्पर्क लगातार जारी है।
-डा. जितेन्द्रसिंह, जिलाध्यक्ष कांग्रेस (झुंझुनूं)
बूथों पर पार्टी मजबूत है। और मजबूती के लिए सात-सात कार्यक्रम चल रहे हैं तथा गौरव यात्राएं निकाली जा रही हैं।
राजीवसिंह शेखावत, जिलाध्यक्ष
बूथों पर आज भी बरकरार हैं पार्टियां
खेतड़ी. खेतड़ी विधानसभा के बूथ संख्या चार लोयल में विधानसभा चुनावो में कांग्रेस को सर्वाधिक मत मिले थे। इस बूथ पर आज भी कांग्रेस का जादू बरकार है तथा ग्रामीण अपना पिछला रिकार्ड तोडऩे की बात कह रहे हैं। वही विधानसभा के बूथ संख्या ३५ पर भाजपा को सर्वाधिक मत मिले थे, वहा के मतदाता कहते है कि यह आंकड़ा इस बार भाजपा की टिकट पर निर्भर करता है। यदि टिकट स्थानीय व्यक्ति को मिलता है तो भाजपा को गत चुनाव से अधिक मत मिलेगे।
जहां भाजपा को मिली बढ़त, वहां अब भी भाजपा मजबूत
उदयपुरवाटी. विधानसभा चुनावों में भाजपा को सबसे ज्यादा 948 वोट छावसरी गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय के पुराना भवन स्थित बूथ नं. 38 पर मिले थे। राजनैतिक चर्चा है कि उस समय तत्कालीन विधायक, राज्यमंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्रसिंह गुढा से नाराजगी, तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की एंटीइन्कंबैंसी व मोदी फेक्टर की वजह से भाजपा को ये फायदा हुआ था। वहीं दूसरी ओर पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सर्वाधिक 627 वोट हुकमपुरा गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय स्थित बूथ नं. 56 पर मिले थे। राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि कांग्रेस को मिले इस मजबूत जनाधार की वजह रही कि इस क्षेत्र में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक काफी है। साथ ही तत्कालीन विधायक राजेंद्रसिंह गुढा का व्यक्तिगत संपर्क भी आनुपातिक रूप से बेहतर था, तो वहीं दूसरी ओर निवर्तमान भाजपा प्रत्याशी शुभकरण चौधरी का उस समय इस क्षेत्र से ठीक से ना जुड़ पाना भी था। हालांकि अभी भी इन दोनों ही क्षेत्रों में छावसरी क्षेत्र में भाजपा के गढ़ की मजबूत अभी भी बरकरार है, तो वहीं हुकमपुरा में कांग्रेस के गढ़ में हल्की सेंधमारी दिख रही है।
राजीवसिंह शेखावत, जिलाध्यक्ष
बूथों पर आज भी बरकरार हैं पार्टियां
खेतड़ी. खेतड़ी विधानसभा के बूथ संख्या चार लोयल में विधानसभा चुनावो में कांग्रेस को सर्वाधिक मत मिले थे। इस बूथ पर आज भी कांग्रेस का जादू बरकार है तथा ग्रामीण अपना पिछला रिकार्ड तोडऩे की बात कह रहे हैं। वही विधानसभा के बूथ संख्या ३५ पर भाजपा को सर्वाधिक मत मिले थे, वहा के मतदाता कहते है कि यह आंकड़ा इस बार भाजपा की टिकट पर निर्भर करता है। यदि टिकट स्थानीय व्यक्ति को मिलता है तो भाजपा को गत चुनाव से अधिक मत मिलेगे।
जहां भाजपा को मिली बढ़त, वहां अब भी भाजपा मजबूत
उदयपुरवाटी. विधानसभा चुनावों में भाजपा को सबसे ज्यादा 948 वोट छावसरी गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय के पुराना भवन स्थित बूथ नं. 38 पर मिले थे। राजनैतिक चर्चा है कि उस समय तत्कालीन विधायक, राज्यमंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्रसिंह गुढा से नाराजगी, तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की एंटीइन्कंबैंसी व मोदी फेक्टर की वजह से भाजपा को ये फायदा हुआ था। वहीं दूसरी ओर पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सर्वाधिक 627 वोट हुकमपुरा गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय स्थित बूथ नं. 56 पर मिले थे। राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि कांग्रेस को मिले इस मजबूत जनाधार की वजह रही कि इस क्षेत्र में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक काफी है। साथ ही तत्कालीन विधायक राजेंद्रसिंह गुढा का व्यक्तिगत संपर्क भी आनुपातिक रूप से बेहतर था, तो वहीं दूसरी ओर निवर्तमान भाजपा प्रत्याशी शुभकरण चौधरी का उस समय इस क्षेत्र से ठीक से ना जुड़ पाना भी था। हालांकि अभी भी इन दोनों ही क्षेत्रों में छावसरी क्षेत्र में भाजपा के गढ़ की मजबूत अभी भी बरकरार है, तो वहीं हुकमपुरा में कांग्रेस के गढ़ में हल्की सेंधमारी दिख रही है।
टिकिट वितरण से ही मिलेगी दिशा
पिलानी. पिलानी विधान सभा सीट एससी के लिए रिजर्व होने के कारण यहां पर बाहरी उम्मीदवार अपने लिए जमीन तलाश रहे हैं। गत विधान सभा के चुनावों पर नजर डाले तो यहां से भाजपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। करीब पांच वर्ष पहले मोदी लहर तथा प्रदेश में सत्ता रूढ़ दल के विरोध में मतदान करने की परम्परा का माहौल अब बदल गया है। वर्तमान विधायक खुद चुनाव नहीं लडऩे के बजाय अपने बेटे को चुनाव मैदान में उतार रहे हैं, तो वहीं भाजपा पार्टी से टिकिट के संभावित अन्य लोग भी क्षेत्र में प्रचार प्रसार में जुड़े हैं। पिछले चुनावों में मामूली अंतर से हारे निर्दलीय प्रत्याशी इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की टिकिट से चुनाव लडऩे का प्रचार कर रहे हैं। बीजेपी की भांति कांग्रस पार्टी से भी करीब आधा दर्जन संभावित टिकिट प्रत्याशी मांग कर रहे हैं। पार्टियों की टिकट किसको मिलती है इस के बाद ही मतदाता अपना रुख बनाएगा।
पिलानी. पिलानी विधान सभा सीट एससी के लिए रिजर्व होने के कारण यहां पर बाहरी उम्मीदवार अपने लिए जमीन तलाश रहे हैं। गत विधान सभा के चुनावों पर नजर डाले तो यहां से भाजपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। करीब पांच वर्ष पहले मोदी लहर तथा प्रदेश में सत्ता रूढ़ दल के विरोध में मतदान करने की परम्परा का माहौल अब बदल गया है। वर्तमान विधायक खुद चुनाव नहीं लडऩे के बजाय अपने बेटे को चुनाव मैदान में उतार रहे हैं, तो वहीं भाजपा पार्टी से टिकिट के संभावित अन्य लोग भी क्षेत्र में प्रचार प्रसार में जुड़े हैं। पिछले चुनावों में मामूली अंतर से हारे निर्दलीय प्रत्याशी इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की टिकिट से चुनाव लडऩे का प्रचार कर रहे हैं। बीजेपी की भांति कांग्रस पार्टी से भी करीब आधा दर्जन संभावित टिकिट प्रत्याशी मांग कर रहे हैं। पार्टियों की टिकट किसको मिलती है इस के बाद ही मतदाता अपना रुख बनाएगा।