जींद जिले के सवा सौ दलित पिछले 116 दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। इन दलितों का आरोप है कि प्रदेश सरकार ने न तो उन्हें गंभीरता से लिया और न ही उनकी मांगों को पूरा करने की दिशा में कोई प्रयास किया। दलितों ने जींद दौरे के दौरान मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से भी मुलाकात करने का प्रयास किया था लेकिन वह सफल नहीं हो सके।
जिसके चलते बीती 27 मई को जींद के करीब 125 दलित दिल्ली कूच पर निकल लिए। दलित परिवारों ने दिल्ली पहुंचकर पहले तो हरियाणा भवन पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और कमीश्नर को मांग पत्र सौंपा। इसके बावजूद जब सरकार गंभीर नहीं हुई तो दलितों का नेतृत्व कर रहे दिनेश खापड़ व एडवोकेट रजत कल्सन के नेतृत्व में कठोर फैसला करते हुए धर्म परिवर्तन का मन बना लिया।
गत दिवस दिल्ली के लद्दाख बुद्ध भवन में 120 दलितों ने विजय बौद्ध की अध्यक्षता में धर्मांतरण कर लिया और हिन्दू धर्म को छोडक़र बौद्ध धर्म की दिक्षा ले ली। दिनेश खापड़ व युवा नेता अजय भम्भेवा के अनुसार आज जिस तरह से भाजपा के राज में दलित हिन्दुओं पर अत्याचार और शोषण के मामले बढ़े है अब वो दिन दूर नहीं जब इस देश का हर एक दलित बाबा साहब डॉ भीम राव अंबेडकर के रास्ते पर चलकर बौद्ध धर्म की दिक्षा लेगा।
पीडि़त परिवारों में ईश्वर सिंह के भतीजे दिनेश खापड़, आसन गैंगरेप कांड में मृतक लडक़ी का चाचा राजेश, शहीद सूबे ंिसंह नायक का बेटा शिवचरण और छातर गांव के शहीद सतीश कुमार के भाई सुदेश कुमार के साथ दलित समाज के और शोषित लोगों ने भी बौद्ध धर्म की दिक्षा ली।
इसके बाद जींद पहुंचे दलित परिवारों ने ऐलान किया कि आगामी चुनाव में भाजपा सरकार के खिलाफ प्रचार किया जाएगा। खापड़ ने कहा की अभी तो यह शुरुआत है, वह अपने साथियों के समेत खट्टर सरकार की दलित विरोधी नीतियों के खिलाफ हरियाणा के हर एक जिले के गांव गांव जाकर दलितों का धर्मांतरण करवाया जाएगा।
यह हैं दलितों की मुख्य मांगे
-जींद में ईश्वर सिंह की मौत के बाद किए समझौते को लागू करना।
-कुरूक्षेत्र के गांव झांसा की दलित बेटी से हुई दरिंदगी की जांच करना।
-आसन कांड जिसमें दलित लडक़ी की रेप कर की गई हत्या के मामले में हुए समझौते को लागू करना।
-भिवानी के हालुवास में नाबालिग से रेप करने के शिकायतकर्ता को सुरक्षा देने व मुआवजे की मांग।
-हिसार के भटला में दलितों का सामाजिक बहिष्कार करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज करने व दलितों पर किए गए झूठे मामले खारिज करने की मांग।
-मार्च 2015 में छात्तर के सतीश की मौत को लेकर हुए समझौते लागू करना।
-1985 में पुलिस नाके पर मरे नायक सुबे सिंह को शहीद का दर्जा देने व उसके बेटे को नौकरी देने की मांग।
-जंतर-मंतर पर भिवानी के बामला के फौजी सुसाईड मामले में की घोषणा को लागू करना।
-प्रदेश में जगह-जहग बनाई निशाना जा रही बाबा साहेब की मुर्तियां की सुरक्षा करवाना।
-दलितों पर हो रहे अत्याचार पर अंकुश लगाना।