जींद उपचुनाव के दौरान गोयल भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली। जींद उपचुनाव के बाद वह कभी सुर्खियों में नहीं आए। मनोहर लाल ने जवाहर यादव को सबसे पहले नियुक्त किया और सबसे पहले सीएमओ से हटाकर उन्हें हाउसिंग बोर्ड का चेयरमैन लगाया। जवाहर यादव के स्थान पर नीरज दफ्तौर की सीएमओ में एंट्री हुई जो अंतिम समय तक डटे रहे।
पहले कार्यकाल में रेलवे अधिकारी विजय शर्मा भी सीएम के ओएसडी के रूप में आए थे लेकिन उनकी भी सीएम के साथ पटरी नहीं बैठी और बीच कार्यकाल ही चंडीगढ़ से रवाना हो गए। इसी दौरान कैप्टन भूपेंद्र सिंह को ओएसडी की जिम्मेदारी दी गई लेकिन कार्यकाल पूरा होते-होते उन्हें भी ओएसडी से हटाकर कानफैड का चेयरमैन लगा दिया गया। मुख्यमंत्री ने कार्यकाल के शुरू में ही राजकुमार भारद्वाज को ओएसडी मीडिया लगाया लेकिन वह भी लंबे नहीं चले और उनके स्थान पर राजीव जैन को यह जिम्मेदारी सौंपी गई।
मुख्यमंत्री ने जगदीश चोपड़ा को राजनीतिक सलाहकार लगाया था लेकिन बाद में उन्हें भी इस पद से हटाकर पर्यटन विकास निगम का चेयरमैन लगा दिया गया। इसी तरह सीएमओ में रहे दीपक मंगला भी कार्यकाल के अंत तक राजनीति में सक्रिय हो गए और वर्तमान में वह विधायक हैं। हरियाणा में इस बार सीएमओ को लेकर कोई नया तजुर्बा न हो इसके लिए संघ नेताओं ने भाजपा को सुझाव दिया है कि ऐसे किसी भी नेता को सीएमओ में अहम नियुक्ति न दी जाए जो राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखता है। संघ का सुझाव है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते सीएमओ का कामकाज प्रभावित होता है और संबंधित व्यक्ति बेहतर परिणाम नहीं दे पाता है।